पैर खोने पर भी नहीं मानी हार बनी नेशनल चैम्पियन…

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मन में दृढ़ निश्चय कर लेने से हर काम आसान हो जाता है। कुछ लोग होते हैं जो अपनी महेनत से कुछ ऐसा काम कर दिखाते है जिससे न सिर्फ देश का नाम रोशन होता है, बल्कि वो करोड़ों लोगों के लिए मिसाल भी बन जाते हैं। देश में जहां महिलाओं को कई पाबंदियों में रहना पड़ता है, वहीं एक महिला ने पैर न होने पर भी अपनी मेहनत से नेशनल प्रतियोगिता में अपना लोहा मनवा लिया।

Manasi JoshiImage Source: http://1.bp.blogspot.com/

यह कहानी है मानसी जोशी की, जिसने अपने हौसले को कम नहीं होने दिया और विदेशों में भी खेलकर अपने देश के गौरव और सम्मान को बढ़ा दिया। पैर खराब होने से पहले मानसी आम लोगों की तरह ही अपनी जिंदगी बिता रही थी। पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर मानसी जोशी हर रोज की तरह अपने दुपहिया वाहन से ऑफिस के लिए निकली। उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि चंद दूरी के बाद ही कुछ ऐसी घटना होगी जिससे उसकी पूरी जिंदगी ही बदल जाएगी। रास्ते में एक ट्रक ने मानसी को टक्कर मार दी। ट्रक मानसी के पैर के ऊपर से निकल गया था। लोगों की मदद से उन्हें अस्पताल लाया गया। डॉक्टरों ने उनके पैर को बचाने की काफी कोशिश की लेकिन कुछ दिनों के बाद पता चला कि पैर में इंफेक्शन बढ़ गया है। जिस पर डॉक्टर ने उनसे पैर काटने के बारे में पूछा। तब मानसी को मालूम था कि उनके साथ ऐसा ही कुछ होने वाला है। इस दौरान उनसे मिलने जो भी लोग आते थे वह ज्यादा परेशान न हों इसलिए मानसी उन्हें चुटकले और मजेदार किस्से सुनाया करती थी। पैर कटने के बाद मानसी के पास दो ही रास्ते थे। पहला यह कि वो इस घटना को अपना दुर्भाग्य मानकर बैठकर रोती रहें या दूसरा कि इस स्थिति को अपनाते हुए अपना नया रास्ता तलाश करें। इस घटना से मानसी को बस केवल एक ही बात सता रही थी कि वो अपना पसंदीदा बैडमिंटन खेल दोबारा खेल पाएंगी या नहीं। मानसी ने हिम्मत नहीं हारी। मानसी को नकली पैर लगाए गए, जिससे उन्होंने चलना सीखने की कोशिश की। उसके बाद उन पैरों के सहारे ही बैडमिंटन खेलना भी शुरू कर दिया। कुछ समय बाद उन्होंने मैच खेलते हुए कई सारे मेडल भी जीते। मेडल जीतने के बाद वह नेशनल लेवल की बैंडमिटन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने लगीं और जीतने लगीं।
अब मानसी जोशी देश के कई नौजवानों की प्रेरणा स्त्रोत बन कर सामने आ रही हैं। दरअसल मानसी ने साबित कर दिखाया है कि मेहनत, लग्न और दृढ़ निश्चय कर लेने से दुनिया का मुश्किल से मुश्किल काम करना भी आसान हो जाता है। मानसी हादसों के शिकार होने वाले लोगों के लिए भी एक मिसाल बन गई हैं।

vikas Arya
vikas Aryahttp://wahgazab.com
समाचार पत्र पंजाब केसरी में पत्रकार के रूप में अपना कैरियर शुरू किया। कई वर्षो से पत्रकारिता जगत में सामाजिक कुरीतियों और देश दुनिया के मुख्य विषयों पर लेखों के द्वारा लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहा हूं। अब मेरा प्रयास है कि मैं ऑनलाइन मीडिया पर भी अपने लेखों से लोगों में नई सोच और नई चेतना का संचार कर सकूं।

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