भारत के ‘सबसे योग्य व्यक्ति’ माने गए डॉ. श्रीकांत जिचकर

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भारत ही नहीं दुनिया में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले डॉ. श्रीकांत जिचकर बेशक आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन आज हम आपको उनसे जुड़ी कुछ खास बातों से रूबरू करवाने जा रहे हैं। वो हमारे देश के एक ऐसे शख्स थे जिसे भारत के सबसे ज्यादा शिक्षित यानी ‘ द मोस्ट क्वालिफाइड पर्सन ऑफ़ इंडिया’ की उपाधि प्राप्त थी। अब तक देखा जाता है कि ज्यादातर लोग एक ही विषय या कुछ विषयों पर ही अपना ध्यान लगाते हैं, लेकिन श्रीकांत जिचकर के बारे में कहें तो वह दुनिया से एकदम ही अलग थे। वो एक ऐसी पर्सनैलिटी थे जिन्होंने अपनी पूरी लाइफ में ज्यादा से ज्यादा ज्ञान हासिल किया और डिग्रियां ली।

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आपने बशीर बद्र का ये शेर सुना है कि- “हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है, जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा।” ये शेर डॉ. श्रीकांत जिचकर के ऊपर एकदम सटीक बैठता है। उन्हें सचमुच अपना हुनर मालूम था और वह जिस भी तरफ चलते रास्ता खुद-ब-खुद बनता चला गया। 42 यूनिवर्सिटी में पढ़कर सबसे कम उम्र में एमएलए बनने वाले ये पहले भारतीय थे। वे इतनी डिग्रियां होने के बावजूद भी काफी शांत और विनम्र थे। वहीं अगर हम ये कहें कि वह अध्ययनशील सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ का मिश्रण थे तो गलत नहीं होगा। आज हम आपको उनके बारे में कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं। जिनको पढ़कर आपके अंदर एक नई ताकत का संचार होगा। साथ ही प्रेरणा मिलेगी कि जोश और लगन से हम भी अपने हौंसलों को कैसे दे सकते हैं उड़ान…

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डॉ. श्रीकांत जिचकर का जन्म महाराष्ट्र के नागपुर जिले के अंजन कटोल गांव के पास एक धनी किसानों के मराठा परिवार में हुआ था।

डॉ. जिचकर की पत्नी का नाम राजश्री था। डॉ. जिचकर एक परफेक्ट पति होने के साथ जिम्मेदार पिता भी थे। उनके बेटे का नाम याज्ञवल्क्य और बेटी का मैत्रेयी था।

उनके पास कई अकादमिक डिग्रियां थी। वह भारत के ‘सबसे योग्य व्यक्ति’ के रूप में जाने जाते हैं। उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है।

उन्होंने एमबीबीएस और एमडी की डिग्री से अपनी डिग्रियों की शुरूआत की थी। इसके बाद एलएलएम में पोस्ट-ग्रेजुएशन के साथ एलएलबी भी किया था। उनके पास मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन जर्नलिज्म की डिग्री भी थी। वह दस विषयों एमए कर चुके थे। लोक प्रशासन में उन्होंने स्नातकोत्तर किया था। इसके अलावा एमए (समाजशास्त्र), एमए (अर्थशास्त्र), एमए (संस्कृत), एमए (इतिहास), एमए (अंग्रेजी साहित्य), एमए (दर्शन), एमए (राजनीति विज्ञान), एमए (प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व), एमए (मनोविज्ञान)। साथ में उन्होंने संस्कृत भाषा में डॉक्टर ऑफ लेटर्स की डिग्री भी हासिल की है।

डॉ. जिचकर ने साल 1972 और 1990 के बीच 42 यूनिवर्सिटीज में परीक्षाएं दी और हर परीक्षा में हाई रैंक भी हासिल की।

उन्होंने साल 1972 में आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) की परीक्षा दी। जिसमें वह सफल भी रहे, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने आईएएस की तैयारी करने के लिए आईपीएस के पद से इस्तीफा दे दिया।

1980 में उन्होंने पहला चुनाव लड़ा था। जिसके साथ ही वह महाराष्ट्र विधानसभा में 25 साल की उम्र में देश में सबसे कम उम्र के विधायक बने थे।

सबसे कम उम्र के विधायक बनने के साथ ही उनके पास एक 14 विभाग थे।

महाराष्ट्र विधानसभा में चुने जाने से पहले डॉ. श्रीकांत नागपुर यूनिवर्सिटी स्टूडेंट काउंसिल के अध्यक्ष पद पर भी कार्यरत थे।

श्रीकांत को पढ़ने का काफी ज्यादा शौक था। उनके पास 52,000 से ज्यादा पुस्तकों की अपनी एक निजी लाइब्रेरी थी।

डॉ. जिचकर एक सफल विद्वान, कुशल चित्रकार, पेशेवर फोटोग्राफर और एक रंगमंच अभिनेता भी थे।

वह राज्य के मंत्री और राज्यसभा के सदस्य भी थे।

साल 1992 से लेकर 1998 तक वह राज्यसभा के सदस्य के रूप में नियुक्त भी रहे।

वह काफी अच्छे वक्ता भी थे। उन्हें कई राज्यों में अर्थशास्त्र, स्वास्थ्य और धार्मिक कट्टरता से जुड़े विषयों पर वार्ता करने के लिए बुलाया भी जाता था।

2 जून 2004 को वह दुनिया को अलविदा कह गये। नागपुर से लगभग 60 किलोमीटर दूर एक सड़क दुर्घटना में जिचकर का निधन हो गया था। वह आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अभी भी वह सभी के लिए प्रेरण स्त्रोत हैं। जिनसे लोग प्रेरणा लेकर लोग आगे बढ़ सकते हैं।

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