हमारे देश में बहुत से सरकारी स्कूल हैं और बहुत सारी सामाजिक संस्थाएं भी गरीब बच्चों की पढाई के लिए सहायक बनती है परन्तु फिर भी हमारे देश में शिक्षा की हालत किसी से नहीं छुपी है, वर्तमान में भी एक बड़ी संख्या में गरीब बच्चे आज स्कूल नहीं जा पाते है और इसी कारण से अपने जीवन में पिछड़ जाते हैं इस समस्या को देखते हुए रंजनी परांजपे और बीना लश्करी ने 1988 में एक स्कूल की शुरुआत गरीब लोगों से स्लम एरिया से की थी और इस स्कूल का नाम रख था “डोर स्टेप स्कूल” ।
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इस स्कूल के जरिये ये लोग गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए उनके घर जाय करते थे और बच्चों को पढ़ाने के लिए उनके माता पिता से कहा करते थे। यह स्कूल आज भी 9.30 से 5 बजे तक पढ़ता है, इसके लिए स्कूल की बस बच्चों को सड़क, कंस्ट्रक्शन एरिया, रेलवे स्टेशन आदि स्थानों से बच्चों को उनके माता पिता की आज्ञा से ले जाती है। यह स्कूल पुणे और मुंबई के इलाकों में 70,000 बच्चों को वर्तमान में पढता है।