यह तो आपने सुना ही होगा कि डॉक्टर भगवान का रूप होता हैं पर क्या आपने किसी डॉक्टर द्वारा मरीज को अपना ही खून देकर उसकी जान बचाने का कोई किस्सा सुना हैं। हाल ही में एक ऐसा ही वाक्या सामने आया है। जिसने मानवता की एक मिसाल कायम की हैं। यह मामला उत्तर प्रदेश के जिला चकित्सालय का हैं जहां एक डॉक्टर ने अपना खून देकर मरीज की जान बचाई।
दरअसल में हमीरपुर जिले के 28 वर्षीय जितेंद्र सिंह पीलिया के रोग से पीड़ित था जिसके चलते उसकी बॉडी में सिर्फ 5 यूनिट ब्लड ही बचा था। जितेंद्र सिंह बांदा को जिला चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया। वहां डाक्टरों ने उनके परिजनों को जल्द ही ‘ए बी निगेटिव’ ब्लड ग्रुप लाने के लिए कहा लेकिन समस्या यह थी कि जितेंद्र का ब्लड ग्रुप उसके परिजनों में से किसी के साथ भी मैच नही कर रहा था और न ही ब्लड बैंक में मौजूद था।
अचानक से चिकित्साधिकारी डॉ. नवीन चक खुद ब्लड बैंक गए और अपना ब्लड देकर मरीज की जान बचा ली। इस बारे में जब डॉक्टर नवीन से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ईलाज कर मरीज का जीवन बचाना डॉक्टर की जिम्मेदारी हैं। अगर किसी को मेरी किडनी की भी जरुरत होती तो मैं वह भी दे देता।