गोवा को भारत के सबसे बेहतरीन पर्यटक स्थलों में से एक माना जाता है, लेकिन एक समय था जब देश के इस राज्य में जाने के लिए लोगों को वीज़ा की जरूरत पड़ती थी। दरअसल भले ही भारत को आज़ादी 15 अगस्त 1947 को मिल गई थी, लेकिन पुर्तगालियों के अधीन होने के कारण गोवा तब भी गुलामी की जंजीरों से बंधा था।
गोवा में हर साल 6 से 9 फरवरी तक एक कार्निवल का आयोजन किया जाता है। इसलिए हम आपको आज गोवा से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बता रहे हैं, जिनके बारे में शायद आप आज तक नहीं जानते थे।
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- वर्ष 1954 में भारत से गोवा जाने के लिए वीज़ा लेना पड़ता था।
- एक समय था जब भारत और गोवा के बीच बढ़ते तनाव की वजह से भारत सरकार को यह फैसला लेना पड़ा।
- उस दौरान गोवा में पुर्तगालियों का शासन था।
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- सन् 1950 में गोवा में स्वंत्रता संग्राम ने जोर पकड़ा।
- सन् 1954 में भारत का समर्थन करने वाले गोवा के कुछ स्वतंत्रता सेनानियों ने नगर हवेली और दादर को पुर्तगालियों के शासन से मुक्त करवा लिया था।
- इसके बाद गोवा में भारत समर्थक प्रशासन की क्रांति ने नया रूप ले लिया और पुर्तगालियों के खिलाफ विरोध काफी बढ़ गया।
निहत्थों पर बरसाई गई गोलियां
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गोवा को पुर्तगालियों के शासन से आज़ादी दिलाने के लिए 15 अगस्त 1955 को करीब 3000 सत्याग्रहियों ने एक आंदोलन किया। इस क्रांति को दबाने के लिए निहत्थे सत्याग्रहियों पर पुर्तगाली सेना ने अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी। इस घटना में करीब 30 प्रदर्शनकारियों की जान गई, लेकिन इस घटना ने आज़ादी की चिंगारी को आग देने का काम किया। गोवा में बढ़ते तनाव को देखते हुए भारत ने 1955 में पुर्तगाल से अपने सभी राजनयिक सम्बन्ध तोड़ दिए।
गोवा के लोगों के कड़े विरोध प्रदर्शन और कुर्बानी की वजह से 19 दिसंबर 1961 को गोवा, पुर्तगालियों के शासन से मुक्त हो गया। जिसके बाद गोवा भारत का हिस्सा बना।