दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक किताब में भगत सिंह को क्रांतिकारी आतंकवादी बताए जाने पर इतिहासकार और नेता इसको लेकर विरोध कर रहे हैं। दरअसल डीयू के हिंदी माध्यम कार्यान्वय निदेशालय की ओर से ‘भारत का स्वतंत्रता संघर्ष’ किताब को प्रकाशित किया है। इस किताब के एक चैप्टर में भगत सिंह समेत उनके साथियों को कई जगह पर आतंकवादी कहा गया है। ये मामला इतना गर्मा गया है कि जनता दल यू के महासचिव केसी त्यागी ने कहा है कि ये मामला राज्यसभा में उठाया जाएगा। वहीं इस पर भगत सिंह के परिवार ने भी ऐतराज जताया है और उनके छोटे भाई कुलबीर सिंह के पोते ने शिक्षा मंत्री स्मृती ईरानी को पत्र लिखा है।
किताब के उस चैप्टर का नाम ‘भगत सिंह, सूर्य सेन और क्रांतिकारी आतंकवादी’ है। इस पर मशहूर इतिहासकार इरफान हबीब का कहना है कि अंग्रेजों ने भगत सिंह को आतंकवादी माना है और इस परंपरा को हम अभी तक चला रहे है।
लोकसभा में हुई नोकझोंक-
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भगत सिंह को क्रांतिकारी आतंकवादी कहने पर लोकसभा में सरकार और विपक्ष में काफी नोकझोंक हो गई। दरअसल डीयू में पढ़ाई जा रही ये किताब विपिन चंद्रा और मृदुला मुखर्जी द्वारा लिखी हुई है। जिस पर बीजेपी के सदस्य अनुराग ठाकुर ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि उनके शासनकाल के दौरान इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने और शिक्षा को खत्म करने की कोशिश की गई, जिसके लिए इस देश की जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी। वो आगे बोले कि इस किताब के लेखक मृदुला पर वित्तीय अनियमितताओं की जांच भी चल रही है।
किताब में राहुल गांधी को बताया ‘करिश्माई नेता’-
इस किताब में कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी को करिश्माई नेता बताया है। जिस पर बीजेपी के एक सदस्य ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि “ये तो खुद में एक मजाक है क्योंकि राहुल के कारण कांग्रेस ने साल 2014 के चुनावों में मुंह की खाई है।” दरअसल 2014 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मात्र 44 सीटें मिली थी, जो कि इतिहास की सबसे कम सीटें दर्ज हुईं। इस बहस के बाद कांग्रेस ने प्रतिवाद किया और हंगामे के कारण अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भोजनावकाश के लिए सदन स्थगित कर दी।