दिल्ली की मिसाइल मैन को सच्ची श्रद्धांजलि, दिल्ली हाट में बनेगा स्मारक

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अपने दमदार विचार रखने वाले पूर्व राष्ट्रपति, भारत रत्न से विभूषित और मिसाइल मैन के नाम से अपनी पहचान बना चुके डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम आज हम सबके बीच नहीं हैं। उन्हें दुनिया को अलविदा कहे एक साल पूरा होने वाला है। उन्होंने बीते साल 27 जुलाई को शिलांग में अपनी अंतिम सांसें ली थी। जिसके बाद उनके पार्थिव शरीर को रामेश्वरम लाया गया और पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनको अंतिम विदाई दी गई थी। बड़ों से लेकर बच्चों तक के प्रेरणास्त्रोत बने डॉ. कलाम के विचार बेशक अभी तक लोगों के दिलों में जिंदा हों, लेकिन देश की राजनीति से जुड़े लोगों ने उन्हें शायद ही कभी दिल से याद किया होगा।

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लेकिन कहते हैं ना देर आए, दुरुस्त आए। कुछ ऐसा ही दिल्ली सरकार का भी हाल है। आखिरकार इतना लंबा वक्त बीतने के बाद दिल्ली सरकार को डॉ. कलाम को सच्ची श्रद्धांजलि देने की याद आ ही गई। जिसके चलते अब दिल्ली सरकार दिल्ली हाट में डॉ. कलाम के नाम का स्मारक बनवाने जा रही है। दिल्ली सरकार ने अब्दुल कलाम के स्मारक बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह स्मारक साउथ दिल्ली में दिल्ली हाट पर बनाया जाएगा। ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक “कला संस्कृति विभाग इस प्रोजेक्ट के लिए नोडल डिपार्टमेंट होगा। फैसला किया गया है कि दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास विभाग (डीटीटीडीसी) को इस मेमोरियल की स्थापना का काम सौंपा जाएगा।”

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वहीं जान लें कि डॉ. कलाम के नाम पर बनने वाले संग्रहालय का नाम “ज्ञान केंद्र” होगा। जिसमें डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की व्यक्तिगत चीजों को तमिलनाडु के रामेश्वरम से लाकर रखा जाएगा। डॉ. कलाम की ये चीजें रामेश्वरम में उनके घर से अगले महीने ही दिल्ली लाई जाएंगी, लेकिन करीब दो महीने तक ये चीजें दिल्ली विधानसभा में सुरक्षित रखी जाएंगी।

दिल्ली सरकार के पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा बीते अप्रैल माह में रामेश्वरम गए थे। डॉ. कलाम के परिवार वालों की सहमति से उनके दस्तावेजों, वीणा, किताबों और उनसे जुड़ी सभी चीजों को दिल्ली लाया जाएगा।

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वहीं बता दें कि दिल्ली सरकार डॉ. कलाम के इस संग्रहालय को जनता के लिए उनकी पहली पुण्यतिथि 27 जुलाई से पहले खोलना चाहती है। साथ ही दिल्ली सरकार इसको डॉ. कलाम को अपनी सच्ची श्रद्धांजलि बता रही है। अपना एक बयान जारी करते हुए दिल्ली सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि “डॉ. कलाम के कार्यों को रामेश्वरम तक ही सीमित कर देने से अन्याय होगा।”

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