अक्सर लोग यह बात कहते देखे जाते हैं कि सुविधाओं की कमी के कारण वह अपना मुकाम हासिल नहीं कर सके। कुछ कमियां उनकी सफलता के आड़े आ गईं, लेकिन ऐसे लोग शायद यह नहीं जानते कि अगर इंसान मेहनती हो और उसके इरादे पक्के हों तो सफलता कदम जरूर चूमती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है महाराष्ट्र की सयाली माहिशुने ने।
आपको बता दें कि सयाली के पिता मंगेश माहिशुने मोची का काम करते हैं और बीते दिनों 14 साल की सयाली माहिशुने ने 3000 मीटर की दौड़ में गोल्ड मेडल जीता। इस रेस में सयाली ने नंगे पांव गर्म कॉन्क्रीट पर दौड़ लगाई। बता दें कि दिन-रात मेहनत कर किसी तरह अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाले मंगेश के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपनी बेटी के लिए जूते खरीद सकें। ऐसे में जब सयाली प्रतियोगिता में हिस्सा लेने गई तो उसके पैरों में जूते नहीं थे। वह नंगे पैर ही दौड़ी और गोल्ड मेडल जीतकर लाई।
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सयाली की पारिवारिक स्थिति पर गौर करें तो इसमें दो राय नहीं कि उसे आगे बढ़ने के लिए जरूरी सुविधाओं की कमी के साथ-साथ तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ा होगा। राह में अड़चनें तो बहुत आई होंगी, लेकिन फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और अपने बुलंद हौंसलों से मंजिल प्राप्त कर ही ली। वहीं दूसरी तरफ गौर करें तो हमारे देश में खेलों से जुड़ी सुविधाओं की भारी कमी है। कुछ खेलों को छोड़ कर अन्य खेलों से जुड़े खिलाड़ियों को सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं मिलता। ऐसा नहीं है कि हमारे देश में टैलेंट की कमी है, लेकिन बुनियादी सुविधाएं इनकी राह में रोड़ा बनती हैं। ऐसे में जरूरी संसाधनों के अभाव में भी सयाली ने जो कर दिखाया उसकी जितनी सराहना की जाए कम है। साथ ही इसमें भी दो राय नहीं कि सयाली जैसे खिलाड़ियों को अगर सुविधाएं और मौका मिले तो वह निश्चित रूप से हमारे देश का नाम शिखर पर ले जा सकते हैं।
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अपनी इस सफलता पर सयाली का कहना है कि “अब हम 2016 ओलंपिक्स की तैयारी कर रहे हैं। ओलंपिक खेल हर प्लेयर का सपना होता है। दुनिया भर में इसे खूब पसंद किया जाता है। हमारे देश से ओलंपिक खेलों के लिए कुछ ही खिलाड़ी क्वालीफाई कर पाते हैं। भारत में सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं मिलता। ऐसा नहीं है कि हमारे पास टैलेंट की कमी है, मगर यहां बुनियाद ही कच्ची है।”