दक्षिणेश्वर काली मंदिर व खौफ का रहस्य

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कोलकाता के उत्तर में विवेकानंद पुल के पास दक्षिणेश्वर काली मंदिर की कहानी अपने आप में अनोखी है, जहां पर परमहंस रामकृष्ण जी महाराज रोज आकर मां काली की प्रतिमा को घंटों निहारा करते थे। बताया जाता है कि खुद काली मां ने शूद्र जमींदार की विधवा पत्नी रासमणि को सपना देकर इस मंदिर को बनवाने की बात कही थी।

Dakshineswar Kali Temple3Image Source: http://static.thousandwonders.net/

रासमणि ने मां काली का आज्ञा को मान इस भव्य मंदिर का निर्णाण करवाने की पहल की। जमींदार परिवार से होने के कारण उन्हें मंदिर को बनवाने में धन की कोई कमी नहीं हुई। इस मंदिर को बनवाने में 8 वर्ष लगे और कुल 9 लाख रुपयों की लागत से यह मंदिर बनकर तैयार हो गया। इस मंदिर का नाम रखा गया दक्षिणेश्वर मां काली मंदिर।

लेकिन बंगाल में उस समय के लिहाज से एक शूद्र स्त्री द्वारा मंदिर का निर्माण करवाना किसी को रास नहीं आया जो राजा के नियमों के भी खिलाफ था। एक समय ऐसा आया जब इस मंदिर के बनने के बाद किसी भी पुजारी ने यहां पूजा करने से मना कर दिया।

Dakshineswar Kali Temple1Image Source: http://www.maadurgawallpaper.com/

आज भी इसका खौफ लोगों के बीच उतना ही देखने को मिलता है। कोलकाता के प्रसिद्ध और जाग्रत मंदिर दक्षिणेश्वर का ये मंदिर कई सालों से कोलकाता का एक महान धर्मस्थल बना हुआ है। इस मंदिर में पुजारी भी पैर रखने से डरते थे। हिन्दुओं की पुरानी जाति व्यवस्था और बंगाल की कुलीन प्रथा की वजह से यहां रहना उस समय काफी जोखिम भरा माना जाता था।

इस मंदिर में परमहंस रामकृष्ण जी के आने से लोगों की श्रद्धा और बढ़ गई। रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद के गुरु थे। कहा जाता था कि रामकृष्ण पूरा दिन मां काली को निहारते रहते थे।

Dakshineswar Kali TempleImage Source: http://www.dakshineswar.com/

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