हमारे भारत देश में सभी धर्मों को समान रूप से देखते हुये समान दर्जा प्राप्त है। सभी धर्मों को समान अधिकार भी दिये गये हैं। जिससे वे स्वतंत्र रूप से अपने-अपने धर्मों और रीति रिवाजों का पालन कर सकें, पर एक देश ऐसा भी है जो इस्लामिक धर्म को किसी प्रकार की आजादी नहीं देता। जी हां यह बात बिल्कुल सत्य है। जापान एक ऐसा देश है जहां इस्लाम का सख्त विरोध किया जाता है। किसी भी मुस्लिम को जापान में रहने की आजादी नहीं दी गई है और ना ही कोई अधिकार। इसी को देखते हुये आज तक किसी मुस्लिम देश का कोई प्रधानमंत्री या बड़ा नेता टोकियो की यात्रा पर नहीं गया है।
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साथ ही ना ही यह देखा गया कि ईरान से लेकर सऊदी अरब तक के किसी राजा ने जापान की यात्रा की हो, क्योंकि जापान अपने देश में किसी भी मुस्लिम को स्थायी रूप से निवास करने अनुमति नहीं देता है। इसी के चलते इस देश में ना तो कोई मस्जिद है ना ही कोई मुस्लिम। यहां तक कि जापान में कुरान को भी बाहर से लाने की आजादी नहीं दी गई है। इस्लाम से जुड़ी सभी चीजों के प्रचार-प्रसार पर भी कड़ा प्रतिबंध है।
आज के समय में जापान ही विश्व का ऐसा देश है जो इस्लाम के प्रति किसी भी प्रकार की रुचि नहीं रखता और इसी के चलते यहां पर मुस्लिम देशों के दूतावास न के बराबर हैं। आज भले ही कुछ मुसलमान वहां पहुंच चुके हों, पर वो भी ज्यादातर विदेशी कम्पनियों के कर्मचारी होने के कारण वहां पर मौजूद हैं। इसके बावजूद यदि कोई बाहरी कम्पनी अपने यहां से ऊंचे पोस्ट पर आसीन किसी मुस्लिम को जो डॉक्टर, इंजीनियर या प्रबंधक है उसे वहां भेजने के बारे में भी सोचती है तो जापान सरकार उन्हें जापान में घुसने तक की अनुमति नहीं देती है।
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इस्लाम के प्रति इस प्रकार के नजरिये का सबसे बड़ा कारण यह है कि जापान सरकार मुस्लिमों को कट्टरवाद का पर्याय मानती है। साथ ही इन्हें आतंकवाद की प्रमुख जड़ मानते हुये हमेशा से ही से नजरअंदाज करती आई है। इसलिये मुसलमान के लिये वहां पर इतने सख्त नियम जारी किये गये हैं कि ना ही उन्हें यहां घुसने दिया जायेगा और ना ही वो यहां की नौकरी के लिये आवेदन कर सकते हैं।
इसके अलावा यदि जापान की कोई महिला किसी मुस्लिम युवक से शादी कर लेती है तो वहां का सामाज तुरंत उसका बहिष्कार कर जापान से निकाल देता है। इस भेदभाव वाली स्थिति से जापानियों को किसी प्रकार की कोई चिंता भी नहीं है कि दूसरे देश के लोग उनके बारे में क्या सोचते होंगे।