यहां मरने के बाद भी जिन्दा रहती हैं लाशें

0
513

आपने अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि लोग मरने के बाद भी हमारी यादों में जिंदा रहते हैं, लेकिन इस दुनिया में एक ऐसा शहर है जहां लोगों को मरने के बाद भी मरने नहीं दिया जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसी कौन सी जगह है जहां ऐसा होता है तो आपको बता दें कि यहां हम इंडोनेशिया की बात कर रहे हैं। इंडोनेशिया के सुलावेसी की पहाड़ियों में रहने वाले तोरजा समाज के लोग अपने करीबी लोगों को मरने के बाद भी अपने आप से दूर नहीं होने देते।

मृतक की पूरी कराते हैं सभी दिनचर्या-

इस समाज के लोग अपने परिजनों के मरने के बाद उनके शव को दफनाने के बजाय उनके शव को अपने साथ घर में ही रखते हैं। यहां के लोग उस व्यक्ति के शव को शव नहीं समझते बल्कि उसे जीवित ही समझते हैं तथा यह मानते हैं कि वो बीमार हो गया है। इतना ही नहीं, उसे एक बीमार मनुष्य की तरह ही घर में रखते हैं।

strannaya-tradiciya-naroda-toradzhi-4Image Source :http://s.zefirka.net/

मनुष्य की मृत्यु के बाद उसके शव को शव ना कह कर यह लोग उसे ‘मकुला’ कह कर पुकारते हैं। जिस तरह एक आम मनुष्य अपना जीवन जीता है उसी तरह यहां मृतकों के शव को भी रखा जाता है। यह लोग रोज शव को नहलाते हैं, उसे खाना खिलाते हैं तथा हर वो कार्य करते हैं जो वो व्यक्ति जीवित रह कर करता था। शव को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए यहां के लोग नियमित शव पर पानी और फॉर्मल्डिहाइड का मिश्रण डालते हैं।

इस समाज में एक प्रथा है कि जब परिवार के सभी लोग एक साथ होंगे तभी शव का अंतिम संस्कार किया जा सकता है। तब तक वो शव को अपने साथ ही रखते हैं और मृतक की वह सभी दैनिक दिनचर्या पूरी कराते हैं, जो वह जीवित रहते हुए करता था। वैसे यह जरूरी नहीं है कि लंबे समय तक शव को अपने साथ रखा जाता हो। हर कोई अपनी आर्थिक स्थिती के अनुसार ही शव को अपने साथ रखता है। जो लोग ज्यादा गरीब होते हैं वो कुछ दिनों तक ही शव को अपने साथ रखते हैं तथा जो अमीर होते हैं वो शव को सालों तक भी अपने साथ रखते हैं।

article-2193132-14ACFD3F000005DC-518_964x700Image Source :http://1.bp.blogspot.com/

भैंसे की दी जाती है बलि-

जब यह लोग शव का अंतिम संस्कार करते हैं तो उस समय उनका पूरा कुनबा वहां उपस्थित होता है तथा यह संस्कार कई दिनों तक होता है। इतना ही नहीं इस अवसर पर इनके यहां एक प्रथा है कि इस दौरान भैंसे की भी बलि दी जाए। इसके साथ यह मान्यता जुड़ी हुई है कि जब व्यक्ति मर जाता है तो उसके साथ भैंसे का भी होना जरूरी होता है। अगर उसके साथ भैंसा नहीं होगा तो वो दूसरी दुनिया तक कभी नहीं पहुंच सकेगा। वहीं, ऐसा नहीं है कि अंतिम संस्कार के बाद शव को दफना दिया जाता है। उसके बाद भी यह लोग शव को दफनाते नहीं हैं बल्कि उसे पहाड़ियों पर बनी गुफाओं में एक ताबूत में रख देते हैं तथा साथ ही गुफा में उस व्यक्ति की जरूरत की हर चीज को भी रखते हैं।

हर तीन साल बाद शव को निकालते हैं कब्र से-

अब अगर आप सोच रहे हैं कि इसके बाद यह के लोग अपने परिजनों को भूल जाते हैं तो ऐसा नहीं है। अंतिम संस्कार होने के बाद भी यहां के लोग हर तीन साल बाद मृतक का एक अंतिम संस्कार करते हैं। जिसे यह मानेन कहते हैं। इस दौरान यह शव को ताबूत से बाहर निकल कर उसे फिर से उस जगह ले जाते हैं जहां उस मनुष्य की मौत हुई होती है। फिर शव को साफ करते हैं, उन्हें कपड़े पहनाते हैं तथा ताबूत को भी साफ कर के फिर से शव को उसमें रख कर उसे वहीं वापस रख देते हैं। इस समाज के लोगों के लिए मनुष्य की मृत्यु सामान्य मृत्यु के समान नहीं होती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here