चमत्कारी हनुमान मंदिर – यहां आकर खुद ही जुड़ जाती हैं लोगों की टूटी हुई हड्डियां

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अपने देश में भगवान हनुमान के बहुत से मंदिर हैं पर आज हम जिस मंदिर के बारे में आपको जानकारी दे रहें हैं वहां जानें पर लोगों की टूटी हड्डियां खुद ही जुड़ जाती हैं और यही इस मंदिर की खासियत है। जी हां, यह मंदिर अपने इस चमत्कार के लिए देश भर में प्रसिद्ध है। आज के दौर में कई अस्पताल मौजूद हैं जहां पर टूटी हड्डियों का इलाज किया जाता है, पर अपने देश का यह हनुमान मंदिर अपने आप में ही अनोखा मंदिर है जिसमें हड्डी के मरीज आते तो दुखी भाव से हैं, पर जाते समय उनके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान होती है।

भगवान हनुमान को महाबली तथा महावीर भी कहा जाता है क्योंकि वे हर कार्य को करने में सक्षम हैं और इस मंदिर के द्वारा वे लोगों के हड्डी रोगों का उपचार कर रहें हैं। बहुत से मरीज यहां आते हैं और सही होकर जाते हैं। इसके अलावा इस मंदिर में भगवान हनुमान के दर्शन करने की इच्छा रखने वाले भी बहुत से भक्त आते हैं, तो आइए अब हम आपको विस्तार से बताते हैं इस मंदिर के बारे में।

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सबसे पहले हम आपको यह जानकारी दे दें कि भगवान हनुमान का यह मंदिर मध्य प्रदेश के जिला “कटनी” से लगभग 35 किमी दूर “मोहास” नामक गांव में स्थित है। इस मंदिर में यदि आप आते हैं तो आप चकित रह जाएंगे, क्योंकि किसी अस्पताल से भी ज्यादा भीड़ इस मंदिर में हड्डी रोग से ग्रस्त लोगों की लगी रहती है। कोई मरीज यहां स्ट्रेचर पर लाया जाता है, तो कोई मरीज यहां पर एम्बुलेंस में आता है। इस प्रकार से इस मंदिर परिसर में आपको बहुत से मरीज दिखाई पड़ेंगे। लोगों की मान्यता है कि यहां हड्डी रोग से परेशान लोगों का इलाज भगवान हनुमान की दिव्य शक्ति से स्वयं हो जाता है तथा बीमार व्यक्ति यहां से ठीक होकर ही जाता है।

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इस मंदिर परिसर में हड्डी रोग से ग्रस्त मरीजों को आंख बंद करके “राम नाम का उच्चारण” करने को कहा जाता है, इसी दौरान ही मंदिर के संयासी यहां पर उपस्थित सभी मरीजों को प्राकृतिक औषधि खाने को देते हैं। औषधि का सेवन करने के बाद मरीज से घर जाने को कह दिया जाता है तथा बोल दिया जाता है कि भगवान हनुमान की कृपा तथा औषधि के प्रभाव से आपका रोग जल्दी ठीक हो जाएगा तथा हड्डियां जुड़ जाएंगी। वैसे तो इस मंदिर में रोज ही औषधि दी जाती है, पर मंगलवार तथा शनिवार की औषधि का प्रभाव ज्यादा होता है, इसलिए यहां इन 2 दिनों में ज्यादा मरीजों की भीड़ आती है। औषधि का कोई भी पैसा मंदिर प्रसाशन की ओर से नहीं लिया जाता है। मंदिर के बाहर बनी दुकानों पर हड्डियों के दर्द आदि को ठीक करने के लिए तेल बिकते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर से आज तक कोई भी मरीज निराश नहीं गया है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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