कयामत का संकेत देता खूनी चांद दिखा फिर से

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कई प्रकार की खगोलीय घटनाएं इस प्रकार की होती हैं जो कि देखने में काफी खूबसूरत होती हैं पर इनके बारे में कोई बात साफ साफ पता नहीं लग पाती है। इस प्रकार की खगोलीय घटनाएं हजारों वर्षों से होती रही हैं और जिन जिन लोगों के समय में इस प्रकार की घटनाएं होती थी वे लोग इस प्रकार की घटनाओं और अपने उस समय के धर्मग्रंथ को लेकर एक मान्यता बना लेते थे। इस प्रकार से कई खगोलीय घटनाओं के साथ में कई रोचक मान्यतायें भी जुडी हुई है परंतु आज हम बात करेंगे खूनी चांद या ब्लड मून के बारे में। इस लाल चंद्रमा को हालही में लद्दाख में देखा गया है और यह पहली बार नहीं है जब इस प्रकार का चांद किसी ने पहली बार देखा हो असल में इस प्रकार का चांद पहले के समय में भी कई देशों में देखा गया है और तब प्रारंभ हुई इस प्रकार के लाल चांद से कुछ मान्यताओं को जोड़ने की क्रिया।

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आज से पहले दिखे लाल चंद्रमा पर लोगों के विचार –
सन 2015 में अमेरिका के 2 ईसाई संतो ने अपनी एक भविष्यवाणी में कहा था कि “धरती पर भयानक तूफान आएंगे और उल्का पिंडो की बारिश होगी। धरती पर भयानक भूकंप के झटके भी लगेंगे और यह संकेत होगा धरती पर ईसा मसीह के आने का। इस समय धरती पर काफी उथल पुथल भी होगी और अरब राष्ट्रों में युद्ध की स्थिति बनेगी जो कि दुनिया को तीसरे विश्वयुद्ध की ओर धकेल देगी।”
जॉन हेगी नामक एक ईसाई पादरी ने इस बारे में एक किताब भी लिखी थी, जिसका नाम “फॉर ब्लड मून” था, यह किताब 2013 में बाजार में आई थी और इसने बिक्री के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। कुछ ईसाई संतो का यह भी कहना है कि जब 1948 में जब लाल चंद्रमा देखा गया था तो इजराइल का जन्म हुआ था पर अब इस बार लाल चंद्रमा का दिखना ईसा मसीह के आने के संकेत हैं।

अब 2016 में फिर से दिखा खूनी चंद्रमा –

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हालही में लाल चंद्रमा के दिखाई देने की खबरों का बाजार फिर से गर्म है, सोशल मीडिया पर लाल चंद्रमा की तेस्वीरें काफी वायरल हो रही है, जिनमें आकाश में चमकता लाल चंद्रमा काफी सुन्दर दिखाई दे रहा है और यह कहा जा रहा है कि यह चंद्रमा दिल्ली से करीब 1200 किमी. दूर लद्दाख के चांगला नामक स्थान में देखा गया है। नेहरू प्लेनेटोरियम की निदेशक रत्नाश्री का इस बारे में कहना है कि “जब सूरज और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो ये स्थिति चंद्रग्रहण कहलाती है। चंद्रग्रहण में सूर्य की रोशनी चंद्रमा पर नहीं पड़ती और चंद्रमा अंधेरे में डूब जाता है। इस तस्वीर में चंद्रमा लाल इसलिए नजर आ रहा है क्योंकि चंद्रमा पर सूरज की सीधी किरणें नहीं पड़ रही हैं बल्कि सूर्य और चंद्रमा के बीच मौजूद पृथ्वी से टकराकर रोशनी चंद्रमा पर पड़ रही है। अगर ये रोशनी सीधी पड़ती तो चंद्रमा सफेद होता। लेकिन तस्वीरों में सफेद बर्फ के साथ लाल चांद का खूबसूरत नजारा अपनी आंखों से नहीं देख सकते। इसके लिए आपको खगोलीय घटनाओं को कैद करने वाले विशेष कैमरों की मदद लेनी होगी। ये तस्वीर भी ऐसे ही एक कैमरे की मदद से ली गई है।”
इस प्रकार से विज्ञान के हिसाब से लाल चंद्रमा का दिखना एक खगोलीय घटना होती है, इस प्रकार की किसी घटना से धरती पर किसी प्रकार की तबाही का कोई मतलब नहीं होता है और इस प्रकार की घटना किसी प्रकार की हानि पृथ्वी को नहीं पहुंचा पाती है।

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