करोड़ों टर्नओवर वाली कंपनी के मालिक हैं दृष्टिहीन श्रीकांत

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जीवन के अंधेरे को दूर करने की जिद ने आज उन्हें ऐसे मुकाम पर पहुंचा दिया है, जहां रोशनी देख सकने के बाद भी हम नहीं पहुंच सके। किसी समय में आंखों की रोशनी ना होने की वजह से मां, बाप के लिये भारी पड़ रहे श्रीकांत ने अपने बुलंद हौंसले से यह साबित करके दिखाया कि कमजोरी को पकड़ कर जिंदगी नहीं जी जा सकती। इसके लिये हमें लड़ना होगा। इसी एक जिद और बुलंद हौसलों के सामने आखिरकार सभी को झुकना पड़ा।

यहां हम बात करे हैं दृष्टिहीन 24 वर्षीय श्रीकांत बोला की, जो  जन्म से दृष्टिहीन हैं। इस बड़ी कमजोरी को उन्होंने कभी हावी नहीं होने दिया और अपनी पढ़ाई के शौक को पूरा करते हुए विज्ञान विषय से 11वीं पास करने वाले देश के पहले दृष्टिहीन बनें। यही नहीं इसके अलावा वे मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलाजी में प्रवेश लेने वाले पहले गैर अमेरिकी दृष्टिहीन बने। आज यही दृष्टिहीन श्रीकांत अपने बलबूते से 80 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनी के मालिक हैं।

श्रीकांत की यह बड़ी कंपनी प्रिंटिंग इंक, कंज्यूमर फूड पैकेजिंग और ग्लू का बिजनेस कर रही है। इस कंपनी में श्रीकांत बोलेंट इंडस्ट्रीज के संस्थापक और सीईओ हैं। आज उनके एक नहीं, पांच बड़े प्लांट हैं जिसमें 420 लोग सीधे काम कर रहे हैं। छठवां प्लांट आंध्र प्रदेश के नेल्लोर के पास श्रीसिटी में बन रहा है। जिसमें वो 800 से अधिक लोगों को सीधे रोजगार देंगे। जिसमें खासतौर पर उन जैसे दृष्टिहीन और अशक्त लोगों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में ऱख कर उनके हौंसलों को बुलंद किया जाएगा है। इसी कारण आज उनके मौजूदा प्लांट में दृष्टिहीनों की संख्या 60 से 70 फीसदी है। इन लोगों के साथ मिलकर श्रीकांत 15-18 घंटे रहकर काम करते हैं।

1Image Source: http://i9.dainikbhaskar.com/

आइये यहां आपको बताते हैं श्रीकांत के कठिन परिश्रम की कहानी…

श्रीकांत के लिये इस मंजिल तक पहुंच पाना इतना आसान नहीं था, क्योंकि उनके जीवन में फैला अंधेरा हर वक्त उनके आड़े आ रहा था। इसी कारण उनकी पढ़ाई में भी दिक्कत आ रही थी, क्योंकि वो जो विषय पढ़ना चाह रहे थे उसमें एडमीशन नहीं मिल पा रहा था। साइंस पढ़ने की चाह लिये वो हर स्कूलों की ठोकर खा रहे थे। ऐसे में उनके रास्ते को आसान करने के लिये उनकी टीचर स्वर्णलता ने उनकी मदद की और कोर्ट में आवेदन किया।

काफी मेहनत करने के बाद आखिरकार कोर्ट ने अपने फैसले में श्रीकांत को साइंस से एडमिशन लेने की अनुमति दे दी। परीक्षा नजदीक थी, इसके लिए उनकी टीचर ने पूरे नोट्स का ऑडियो अपनी आवाज में बनाकर उन्हें दिया। एक टीचर की मेहनत उस समय रंग लाई जब परीक्षा में उन्हें 98 फीसदी नंबर मिले। इसी हिम्मत और बुलंद हौंसले के साथ श्रीकांत पास में कुछ ना होने के बाद भी आगे की मंजिल को छूने निकल पड़े। कड़ी मेहनत करने के बाद कामयाबी उन्हें हर कदम पर मिलती गई। जिससे आज वो 6 बड़ी कंपनियों के मालिक बन सभी लोगों को नई दिशा दिखा रहे हैं।

Pratibha Tripathi
Pratibha Tripathihttp://wahgazab.com
कलम में जितनी शक्ति होती है वो किसी और में नही।और मै इसी शक्ति के बल से लोगों तक हर खबर पहुचाने का एक साधन हूं।

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