दुनिया की नामचीन कंपनियों में शुमार एप्पल पर भी अब तकनीक को चोरी करने का आरोप लगा है। विसकॉन्सिन एल्युमनी रिसर्च फाउंडेशन ने अमेरिका के एक कोर्ट में पेश दस्तावेजों में दावा किया है कि उसके द्वारा पेटेंट तकनीक को एप्पल अपने चिप में इस्तेमाल कर रहा है। अगर तकनीक की चोरी का केस कंपनी के पक्ष में नहीं आता, तो एप्पल को करीब 862 मिलियन डॉलर (करीब 5445.254 करोड़ रुपए) जुर्माने के रूप में देना पड़ सकता है। विवादित तकनीक को बनाने वाले चार शोधकर्ताओं में से दो भारतीय हैं।
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सूत्रों के द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार विसकॉन्सिन एल्युमनी रिसर्च फाउंडेशन ने अमेरिका की एक अदालत में दावा पेश किया है कि आईफोन अपने कुछ उत्पादों में उसके द्वारा पेटेंट करवाई गई तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। वहीं अदालत ने भी पाया कि विसकॉन्सिन एल्युमनी रिसर्च फाउंडेशन के द्वारा दावा की गई तकनीक का इस्तेमाल एप्पल के कुछ उत्पादों में किया जा रहा है। फिलहाल अमेरिकी कोर्ट के न्यायधीशों के द्वारा सुनवाई को तीन फेजों में बांट दिया गया है। इसमें पहला फेज है लाइबिलिटी। दूसरा है डैमेज। तीसरा फेज यह है कि क्या एप्पल ने जानबूझकर नियम तोड़ा है। इसकी बारी-बारी से सुनवाई होगी। अगर एप्पल पर लगाए गए आरोप सही पाए गए तो कंपनी को भारी रकम को जुर्माने के रूप में देनी पड़ सकती हैं।
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दरअसल विसकॉन्सिन एल्युमनी रिसर्च फाउंडेशन के मुताबिक उन्होंने इस तकनीक को 1998 में ही पेटेंट करवा लिया था। साथ ही यह भी दावा किया है कि दो भारतीय गुरिंदर सोही और टीएन विजयकुमार सहित उसके चार रिसर्चर्स ने उस तकनीक को डेवलप किया, जिसे एप्पल अपने चिप में इस्तेमाल कर रहा है।
सोही ने यूनिवर्सिटी ऑफ विसकॉन्सिन के कम्प्यूटर साइंसेस डिपार्टमेंट में 2004 से 2008 तक चेयरमैन के रूप में काम किया है और अब प्रोफेसर हैं। वे इस यूनिवर्सिटी से 1985 से जुड़े हुए थे। वहीं विजयकुमार पर्ड्यू यूनिवर्सिटी में इलैक्ट्रिकल और कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में प्रोफेसर हैं। आगे अभी अदालत में एप्पल का पक्ष रखा जाना बाकी है।