एक आम आदमी से मुख्यमंत्री के पद में आने वाले अरविंद केजरीवाल को लोग एक मुख्यमंत्री के रूप में ही जानते है। पर सामाजिक कार्यों के प्रति पारदर्शिता लाने वाले इस शख्स के बारे में शायद ही कोई जानता है। आज हम आपके सामने कुछ10 ऐसी बातें ला रहे है जिन्हें शायद ही कोई जानता हो।
दिल्ली के मुख्यमंत्री एंव आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी के दिन 1968 को हरियाणा के एक साधारण से परिवार में हुआ था। इनके पिता गोबिंद राम केजरीवाल जिंदल स्ट्रिप्स में बतौर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे। एक साधारण परिवार के मुखिया गोविंद राम के तीन बेटे और बेटियां हैं। इनकी मां का नाम गीता देवी थी।
केजरीवाल का बचपन गाजियाबाद और हिसार में बीता। यह बात भी बहुत कम लोग ही जानते है कि अरविंद केजरीवाल की प्राथमिक शिक्षा मिशनरीज स्कूल में पूरी हुई थी। मिशनरीज स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही उनका आकर्षण चर्च में प्रार्थना करने के प्रति काफी बढ़ने लगा। घर में हिंदू रीति रिवाज से पूजा पाठ भी किया जाता था।
केजरीवाल ने IIT(आईआईटी) खड़गपुर से मेकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की इसके बाद वो 1989 में टाटा स्टील में काम करने लगे।
काम के दौरान ही 1992 में भारतीय राजस्व सेवा में शामिल हुए। वे मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी, रामकृष्ण मिशन और नेहरू युवा केन्द्र से भी जुड़े रहे हैं। 2006 में जब वे आयकर विभाग में संयुक्त आयुक्त थे तब उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी।
1993 में मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी में प्रशिक्षण के दौरान उनकी मुलाकात अपनी साथी आईआरएस अधिकारी सुनीता से हुई। ट्रेनिंग पूरी होने के दौरान ही दोनों एक दूसरे के काफी नजदीक आ गए। जब केजरीवाल की पोस्टिंग दिल्ली में हुई तब उन्होंने इसी दौरान सुनीता से शादी कर ली। उनका एक बेटा पुलकित और एक बेटी हर्षिता है। केजरीवाल को किताब लिखने का काफी शौक है उन्होनें ‘स्वराज’ नामक एक पुस्तक भी लिखी है।
केजरीवाल को शतरंज और किताबों के साथ साथ स्केचिंग का भी काफी शौक था। स्केचिंग कला में इतने निपुण थे कि उनके हाथ में एक पेंसिल और स्केच बुक हमेशा साथ रहती थी।जिससे वो जो चीज देखते उसका चित्र तुंरत ही बना देते थे। फिर चाहे पेड़ हो, इमारत हो, कोई जानवर या कमरे में या किसी भी जगह पर रखी हुई कोई चीज।
अरविंद केजरीवाल ने साल 2000 में एक एनजीओ ‘परिवर्तन’ की स्थापना की।संयुक्त आयुक्त के पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ी। केजरीवाल ने सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में अपनी खास पहचान बनाई। सूचना के अधिकार को लागू कराने में केजरीवाल का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
2006 में केजरीवाल आरटीआई एक्ट के लिए रमन मैगसेसेय अवार्ड से सम्मानित किये गये। इसके बाद ही उन्होंने नौकरी कर समाजसेवी अन्ना हजारे के साथ सामाजिक कार्य में जुट गए। उनके साथ मिलकर उन्होंने लोकपाल बिल के लिए जंग शुरू की। 2012 में राजनीतिक पार्टी की शुरुआत की और आम आदमी पार्टी का गठन किया।
आम आदमी पार्टी के गठन से भले ही अन्ना हजारे और किरण बेदी उनसे नाराज हो गए, पर केजरीवाल ने अपने काम से हार नहीं मानी। इसके बाद 2013 में शिला दीक्षित के खिलाफ में चुनाव लड़े और उन्हें 25864 वोटों से हराया। वे मुख्यमंत्री बने, लेकिन कांग्रेस का पूर्ण सपोर्ट ना मिलने के कारण 49 दिन बाद उन्होंने पद से त्यागपत्र दे दिया। 2015 में केजरीवाल ने दोबारा चुनाव लड़ा और 14 फरवरी 2015 को दूसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने।