हंसी आपके जीवन का सकारात्मक अंग है इससे आप अपने जीवन को अच्छे से विकसित कर पाते हैं। इस संबंध में आज हम आपको हंसने के कुछ उद्धरण शास्त्रों के प्राचीन कथाओं से दे रहें हैं, ताकि आप जान सकें कि हंसना जीवन के लिए कितना अनिवार्य है। साथ ही हम हंसने के लाभ भी आपको बताएंगे ताकि आप खुश रहने का पूर्ण लाभ ले सकें, तो आइए जानते हैं हंसने के बारे में कुछ शास्त्रों के तथ्यों को।
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सबसे पहले हम आपको गीता में कही भगवान कृष्ण की बात यहां बता रहें हैं, जो उन्होंने अर्जुन को कहीं थी। श्रीकृष्ण अर्जुन से गीता में कहते हैं।
‘प्रसादे सर्वदुखाना हानिरस्यो प्रजायते। प्रसन्नचेतसो हयाशु बुद्धि पर्थ वतिष्ठते।।’
अर्थात् खुश रहने मात्र से मानव की बुद्धि स्थिर हो जाती है तथा विचलित नहीं होती। इस कारण से एकाग्रता भी बढ़ती है, इसलिए हे, अर्जुन तुम सदैव खुश रहों।
इसी प्रकार से महाभारत ग्रन्थ में ही युधिष्ठिर तथा यक्ष का संवाद आता है। इस संवाद में यक्ष युधिष्ठिर से कुछ प्रश्न करता है तथा युधिष्ठिर को उनके उत्तर देने होते हैं। इस क्रम में यक्ष युधिष्ठिर से प्रश्न करता है कि “जीवन के लिए सबसे जरूरी क्या है?”
इस प्रश्न के उत्तर में युधिष्ठिर कहते हैं कि “जीवन के लिए स्वास्थ्य जरूरी है और न सिर्फ तन का बल्कि मन भी। मन के स्वास्थ्य के लिए सकारात्मक हंसी बहुत जरूरी है।”, इस प्रकार से देखा जाये तो भगवान् कृष्ण तथा युधिष्ठिर ने भी जीवन में हंसी के महत्त्व को बताया है। कहा जाता है कि बुद्ध का एक शिष्य था “होतेई” वह अपनी हंसी के कारण ही लोगों में प्रसिद्ध हो गया था।
होतेई ने जीवन में हंसी के महत्त्व को स्वीकार किया और एक विशेष विधि तैयार की, जो कि लोगों को अकारण हंसाने के लिए बनाई गई थी। होतेई का नाम अधिक हंसने के कारण “लाफिंग बुद्धा” पड़ गया। जिस किसी के अंदर आत्मविश्वास होता है वह खुद पर भी हंस सकता है और बेबाक हंसी हमें जीवन के माधुर्य से परिचित कराती है। इसलिए आप भी अपने जीवन को सुंदर व सुखद बनाएं और हंसिये और हंसाइए।