मुकेश कचौड़ी भंडार : कचौड़ी बनी मुसीबत,पड़ा GST का छापा

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उत्तर प्रदेश में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे जानकर आपके के भी उड़ जाएंगे होश। दरअसल, रविवार के दिन मुकेश कचौड़ी भंडार पर सेल्स टैक्स ऑफिसरों की नजर उस समय पड़ी, जब उसकी दुकान में सुबह से लेकर दोपहर तक कचौड़ियां धड़ाधड़ बिक रही थी। दुकान से भीड़ थमने का नाम ही नही ले रही थी। इस दौरान अफसरों ने जब कचौड़ी वाले की बिक्री देखी तो उनके होश उड़ गए। फिर क्या था अलीगढ़ स्टेट इंटेलिजेंस ब्यूरो और सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट के अफसरों ने वहां छापा मार दिया। जीएसटी एक्ट के तहत यह पाया गया कि कचौड़ी मालिक ने अपनी दुकान का पंजीकरण तक नहीं कराया है जबकि उनकी दुकान का कारोबार 60 लाख से ज्यादा का है।

सेल्स टैक्स

मुकेश का कहना है कि पीएम मोदी ने कहा, पकौड़ी बनाओ.. मुकेश ने कचौड़ी बनाई। लेकिन यह कचौड़ी मुकेश के लिए मुसीबत लेकर आ खड़ी हुई। और वो मुसीबत बनकर आई जीएसटी। दूसरी मुसीबत टैक्स की। टैक्स डिपार्टमेंट के अफसरों का  कहना है कि मुकेश की साल की आमदनी लाखों रुपए में है। जिससे उन्हें टैक्स चुकाना ही होगा। अब वो बिना टैक्स चुकाए कचौड़ी नहीं बना पाएगा। दूसरी ओर मुकेश का कहना है कि उसकी आमदनी को लेकर अफसरों को गलत जानकारी दी गई है और जबकि दुकान की रोजाना की आमदनी 2 से 3 हजार रुपए तक की है। उसकी इनकम इतनी नहीं, जितनी जीएसटी डिपार्टमेंट के अफसर बता रहे हैं।

सेल्स टैक्स

वैसे भी मोदी जी ने कहा था कि सालाना 40 लाख रुपए से कम की आमदनी करने वाले दुकानदारों के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं है। और जीएसटी एक्ट के तहत रजिस्टर होने के लिए 40 लाख सालाना से अधिक का टर्नओवर होना जरूरी है ऐसे में मुकेश का मानना है कि उनकी सालाना इनकम इसकी आधी भी नहीं है। मुकेश ने यह भी आरोप लगाया है कि उन्हें टैक्स विभाग के अधिकारी प्रताड़ित कर रहे हैं।

इस पूरे मामले की जांच पड़ताड़ वाणिज्य कर विभाग के द्वारा किया जा रहा है।  यह जांच उस समय शरू की गी जब किसी ने कचौड़ी वाले की शिकायत राजस्व इंटेलीजेंस विभाग से की थी। इसके बाद वाणिज्य कर विभाग की स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम ने जांच शुरूआत करने से पहले अपने विभागीय कर्मचारी वहां तैनात किये। कचौड़ी वाले की दुकान पर तीन-चार दिन की बिक्री का अनुमान लगाया गया। इसके लिए जब बिक्री का अनुमान जीएसटी की वर्तमान छूट से अधिक का निकला तब जांच शुरू की गई। जांच में बिक्री और स्टाक में मिला माल ये साबित करने के लिए काफी था कि सालाना ब्रिकी 50 से 60 लाख रुपए के बीच की है कचौड़ी के साथ यहां समोसे भी बिकते हैं। पास की ही दो दुकानों में कच्चे माल का स्टॉक रखा हुआ पाया गया है. इतनी ब्रिकी पर विक्रेता को जीएसटी में रजिस्टर्ड होना चाहिए. और पांच फीसदी टैक्स देना चाहिए’

अब मुकेश भाई अपनी सालाना कमाई से आधी बताते थक नही रहे है। मुकेश अपनी बात कह रहा है और अधिकारी अपनी बात। इस बीच मुकेश की दुकान चल रही है और अधिकारियों की कार्रवाई भी।

Pratibha Tripathi
Pratibha Tripathihttp://wahgazab.com
कलम में जितनी शक्ति होती है वो किसी और में नही।और मै इसी शक्ति के बल से लोगों तक हर खबर पहुचाने का एक साधन हूं।

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