हमारे समाज में चोरी करना पाप माना जाता है और सभी धर्मग्रंथों में भी चोरी करने को गलत ठहराया गया है, परन्तु अगर यह सुनने को मिले कि एक ऐसा मंदिर है जहां मन्नत पूरी करने के लिए चोरी करनी पड़ती है तो आश्चर्य होना स्वाभाविक है। जैसा कि आप जानते हैं कि भारत में भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के साथ यहां की परम्पराएं तथा रीति रिवाज भी अलग और अनोखे हैं। आपको भारत में अलग-अलग स्थानों पर ऐसे कई मंदिर मिल जाएंगे जहां की मान्यताएं और रीति रिवाज देख कर आप दंग रह जाएंगे। हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां की मान्यता है कि यहां पर चोरी करने से हर किसी की मन्नत पूरी हो जाती। यह है सिद्धपीठ चूड़ामणि देवी का मंदिर।
यह मंदिर रुड़की के चुड़ियाला गांव में प्राचीन सिद्धपीठ के रूप में स्थित है। बहुत से भक्त यहां पुत्र प्राप्ति की इच्छा लेकर माथा टेकने आते हैं।
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लोकड़ा चुराने की है परंपरा
मान्यताओं के अनुसार यदि मंदिर में आकर माता के चरणों से लोकड़ा (लकड़ी का गुड्डा) चोरी करके अपने साथ ले जाएं तो चुराने वाले भक्त की इच्छा पूरी होती है।
मन्नत पूरी होने पर चढ़ाए जाते हैं दो लोकड़े
कहा जाता है कि मन्नत पूरी होने पर भंडारा कराने की मान्यता है। लोक कथाओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 1805 में लंढौरा रियासत के राजा ने करवाया था।
ऐसे हुआ था मंदिर का निर्माण
एक प्रचलित कथा है कि एक बार लंढौरा रियासत के राजा शिकार करने जंगल में आए हुए थे तभी घूमते-घूमते उन्हें माता की पिंडी के दर्शन हुए। राजा का कोई पुत्र नहीं था। इसलिए राजा ने उसी समय माता से पुत्र प्राप्ति की मन्नत मांगी। राजा की इच्छा पूरी होने पर उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया।
देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से एक
कई कथाओं और ग्रंथों के अनुसार चूड़ामणि देवी मंदिर देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां पर देवी का चूड़ा गिरा था। इसी वजह से यह मंदिर चूड़ामणि देवी के नाम से प्रसिद्ध है।