भारत की संस्कृति और रहन सहन पूरी दुनिया में सबसे अलग है। सिर्फ संस्कृति ही नहीं बल्कि यहां के लोग भी सबसे अलग हैं। कभी-कभी आम लोग ऐसे कारनामे कर जाते हैं, जिसे देख कर सिवाय हैरत के और कोई भाव चहरे पर नज़र नहीं आता। जरूरी नहीं है कि यह लोग गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ड रिकॉर्ड बना कर ही दुनिया से अलग काम करें। कई ऐसे लोग भी हैं जो ऐसे हैरतअंगेज़ कारनामे रोज़ ही करते हैं।
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कुछ ऐसा ही कमाल इलाहाबाद में पकौड़े बेचने वाले रामबाबू रोज़ करते हैं। आप यकीन नहीं मानेंगे लेकिन वह पकोड़े तलने के लिए किसी करछी या छलनी का इस्तेमाल नहीं करते बल्कि इस काम को करने के लिए वह अपने हाथों का उपयोग करते हैं। वह ऐसा 2 या 3 दिनों से नहीं कर रहे, बल्कि ये अजीबो-गरीब काम करते हुए उन्हें पूरे 40 साल हो गए हैं।
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रामबाबू जिस तेल में हाथ डाल कर पकोड़े बाहर निकालते हैं वह तेल 200 डिग्री सेल्सियस पर खौल रहा होता है, लेकिन उनके हाथ पर इसका कोई असर नहीं होता।
जब रामबाबू से पूछा गया कि वह यह नामुमकिन काम कैसे कर लेते हैं तो उन्होंने बताया कि जब वह 20 साल के थे तब उन्होंने इस काम की शुरूआत की थी। तब वह सड़क के किनारे दुकान लगाकर आलू और बैगन के पकौड़े बेचा करते थे। पकौड़े तलने के लिए छलनी का इस्तेमाल करना उन्हें समय की बर्बादी लगता था, इसलिए एक दिन दुकान पर बहुत भीड़ होने के कारण उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था। उनके पास कोई मदद के लिए भी नहीं था तो आनन-फानन में बिना सोचे-समझे उन्होंने हाथ कढ़ाई में डाल कर पकौड़े बाहर निकाल लिए। इसके बाद उन्होंने घबराकर अपने हाथ ढक लिए। उन्हें लगा कि उनके हाथों में फफोले पड़ जाएंगे पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। उस दिन के बाद आजतक रामबाबू ऐसे ही हाथों से पकौड़े छानते हैं।
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बहुत से लोग रोज़ उनके इस अद्भुत कारनामे को देखने आते हैं। यही नहीं बल्कि कई डॉक्टर्स ने उनसे संपर्क किया। वह उनके हाथ पर रिसर्च करना चाहते थे। उनके हाथ का सैंपल कई बार लिया गया, लेकिन उसमे कोई असमानता नज़र नहीं आई।
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रामबाबू के हाथ जितने अनोखे हैं उतने ही स्वादिष्ट उनके हाथों से बने पकौड़े भी हैं। जब उनसे यह पूछा जाता है कि क्या वह कोई जादू करते हैं, तो वह मुस्कुरा कर कहते हैं कि यह भगवान का जादू है।