सोचिये यदि कोई व्यक्ति रेल में यात्रा कर रहा हो और उसे बाथरुम जाना हो तो वह क्या करेगा, सामान्य सी बात है वह टॉयलेट में जाएगा। बात भी सही है पर रेलवे टॉयलेट के बारे में आज जो बात हम आपको बताने जा रहें हैं वो शायद आप नहीं जानते होंगे असल में आज आप भारतीय रेल के अंदर इंडियन या वेस्टर्न टॉयलेट्स का कॉम्बिनेशन देखते हो वो आपको पहले नहीं मिलता था। ऐसे में जानें कब मिली लोगों की ये सुविधा….
ये है पूरा मामला –
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सन 1900 की है उस समय अखिल चंद्र सेन नमक एक सज्जन रेलवे से यात्रा कर रहते और कुछ ऐसी घटना घट गई जिसने तत्कालीन रेलवे विभाग को सोचने पर मजबूर कर डाला और अखिल चंद्र ने उस घटना के बाद रेलवे को एक पत्र लिखा, जिसको पढ़ने के बाद में आपको उनके साथ घटी घटना का पता लग जाएगा, तो चलिए हम पढ़ाते हैं आपके वो खास खत।
अखिल चंद्र द्वारा लिखा गया पत्र चित्र के द्वारा हम आपको दिखा रहे हैं –
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तो अब आप समझ ही गए होंगे उस घटना के बारे में खैर ये कोई काल्पनिक घटना नहीं बल्कि सच्ची घटना है, आज इस पत्र के कारण ही हम ट्रेन में “हल्के” हो पाते हैं।