जज्बा – अपने बच्चों के भविष्य के लिए यह महिला चलाती हैं रिक्शा

-

रिक्शा चलाना हालांकि पुरुषों का काम माना जाता है, पर आज हम जिसके बारे में आपको बता रहा हैं वह एक महिला है और वह “रिक्शा” चलाती है। आज के दौर में इस महिला का जज्बा हजारों लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन चुका है। जी हां, आज हम आपको मिलवा रहें हैं एक ऐसी महिला से जो अपने बच्चों के भविष्य के लिए रिक्शा चला कर कठोर परिश्रम करती है। इस महिला ने यह साबित कर दिया है कि आज के समय में महिला तथा पुरुषों में कोई अंतर नहीं है, आइए जानते हैं इस महिला के बारे में।

आपको हम सबसे पहले यह बता दें कि रिक्शा चलाकर अपने परिवार को पालने वाली इस महिला का नाम “मोसम्मत जैसमीन” है और यह बांग्लादेश में रहतीं हैं। बांग्लादेश की Chittagong क्षेत्र की सड़कों पर आपको यह महिला रिक्शा चलाती मिल जाएगी। यहां आपको हम यह भी बता दें कि बांग्लादेश एशिया के सबसे गरीब देशों में गिना जाता है। वर्तमान में मोसम्मत नामक इस महिला को रिक्शा चलाते हुए पांच वर्ष बीत चुके हैं, वे कहती हैं कि वह रिक्शा इसलिए चलाती हैं ताकि उनके बच्चे अच्छे से पढ़ सके और अपना भविष्य उज्जवल कर सकें।

 

image source:

मोसम्मत का पति किसी अन्य महिला के साथ बच्चों को अकेला छोड़ कर हमेशा के लिए कहीं और चला गया। इसके बाद में बच्चों की सारी जिम्मेदारी मोसम्मत के कंधों पर ही आ गई थी, जिसके लिए उन्होंने दूसरों के घरों में घरेलू काम किए, पर वहां से मिले पैसे पूरे नहीं पड़ते थे, इसलिए उन्होंने फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया, पर वहां भी उतने पैसे नहीं मिल पाते थे कि मोसम्मत के सारे परिवार का पोषण हो सके, इसलिए उन्होंने अंत में अपने पड़ोसी से रिक्शा उधार लिया और रिक्शा चलाने लगी, हालांकि शुरुआत में उन्हें काफी परेशानियां भी आईं लोग उनको कहते थे कि यह तो पुरुषों का काम है, तो कभी कई लोग उन्हें इस्लाम का हवाला भी देते थे बहुत लोग तो रिक्शे में बैठते भी नही थे, पर बाद में धीरे-धीरे सभी आसान हो गया।

आज पांच वर्ष हो गए हैं मोसम्मत को रिक्शा चलाते हुए और वे रोज 8 घंटे रिक्शा चला कर लगभग 500 रूपए कमा लेती हैं और इस पैसे में से कुछ पैसा उनको रिक्शा मालिक को देना पड़ता है, पर मोसम्मत का मानना है कि जब खुदा ने हमें हाथ पैर सुरक्षित दिए हैं, तो हमें मेहनत करके ही अपना जीवन जीना चाहिए, क्योंकि यह भीख मांगने से कहीं ज्यादा बेहतर है। आज मोसम्मत के बच्चे अच्छे से पढ़ रहें हैं और उनका परिवार समाज में अच्छे से रह रहा है और लोग मोसम्मत की अब इज्जत करते हैं। मोसम्मत के इस जज्बे को हम भी सलाम करते हैं, जिसने समाज में महिला और पुरुष दोनों को समानता की राह दिखाई।

shrikant vishnoi
shrikant vishnoihttp://wahgazab.com
किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

Share this article

Recent posts

Popular categories

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent comments