जिस उम्र में बच्चे खिलानों को छोड़ते नहीं उस उम्र में अकृत ने वो कर दिखाया जिसे दुनिया देखती रह गई। 7 साल की उम्र में बच्चे कैंची-छुरी पकड़ने से डरते है तो वहीं इस कोहिनूर ने वो कारनामा कर दिखाया जिसे शायद ही कोई कर पाया हो। हम बात कर रहे है अकृत कि जिसने 7 साल की छोटी उम्र में ही कई बुलंदियों को छू लिया। आपके लिए विश्वास करना थोड़ा मुश्किल होगा लेकिन यह सच है कि अकृत ने 7साल की उम्र में अपने से 1 साल बड़ी लड़की की अंगुली का ऑपरेशन कर सभी चिकित्सकों को हैरत में ड़ाल दिया।
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इस बच्चे के लिए ये कहना गलत नहीं होगा कि प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती है। अगर आप इस बच्चे के और कारनामें सुनेंगे तो हैरत में पड़ जाएंगे। शायद वो काम आपने 20 की उम्र में भी ना करे हो जो उसने 5 साल की उम्र में कर लिया। आज हम आपको अकृत की क्षमताओं, जज्बे और जुनून से रूबरू कराएंगे। जिसे जान कर आप अपने दातों तले उंगलियां दबा लेंगे।
5 साल की उम्र से पढ़ने लगा शेक्सपेयर की किताब
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अकृत का जन्म 23 अप्रैल 1993 में हिमाचल के नुरपुर में हुआ था, जब इस बच्चे की किलकारियां गूंजी होंगी तब किसी को अंदाजा भी नहीं होगा कि उनके घर में असाधारण बच्चे ने जन्म लिया है। अकृत कम उम्र में ही बोलना, पढ़ना, लिखना सीख गया था। उसकी इन हरकतों से मां-बाप को इल्म हो गया था कि उनका बच्चा साधारण नहीं है। अकृत 5 साल की उम्र में ही शेक्सपेयर की किताबें तक पढ़ने लगा था। उसकी पहले से ही दिलचस्पी मेडिकल क्षेत्र में थी। तब सब की आंखे खुली रह गई जब अकृत ने एक लड़की की कटी हुई उंगली का सफतापूर्वक ऑपरेशन किया।
कैंसर पर रिसर्च करने के लिए अकृत को बुलाया लंदन
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अकृत का कारनामा यहीं खत्म नहीं हुआ वो 12 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के छात्र बनें जिसने मेडिकल स्कूल में प्रवेश लिया था। उसका आईक्यू लेवल 146 था जो कि उसकी उम्र के हिसाब से कहीं ज्यादा था। अकृत अमेरिका के टीवी शो औपरा विनफ्रे के शो में भी शामिल हुए थे लेकिन तब अकृत खबरों में छा गए जब उन्होंने ये दावा किया कि वो कैंसर का इलाज जानते है। इस कोहिनूर का नाम दुनिया के 7 सबसे टैलेंटेड बच्चों की लिस्ट में नाम शुमार है। इस बच्चे ने अभी से ही अप्लाइड केमेस्ट्री में डिग्री हासिल कर ली है। इस उपलब्धि के बाद अकृत को लंदन के इंपीरिल कॉलेज में कैंसर पर रिसर्स करने के लिए बुलाया गया। बहरहाल अब इनकी उम्र 23 साल है और आईआईटी कानपुर में बायोइंजीनियरिंग कर रहे है। आशा करते है कि इस कहानी से कई बच्चों को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी।