आज के के समय में आप देख ही रहें होंगे कि प्राकृतिक आपदाएं लगातर आ रही है, कहीं बाढ़ तो कहीं भूकंप के रूप में। रोज समाचार पत्रों में इस प्रकार की घटनाएं पढ़ने को मिल ही जाती। कुछ वर्ष पूर्व आई सुनामी आपको याद तो होगी ही, उस समय भी बहुत ज्यादा लोग मृत्यु की गोद में चले गए थे और फिर वापस नहीं आ सकें। सुनामी सिर्फ भारत में ही नहीं आई थी बल्कि अन्य देशों में भी इसकी वजह से बड़े स्तर पर जानमाल का नुकसान हुआ है। भारत में भी पहले से सुनामी आती रही है और इस बात का सबूत देती है 5 हजार साल पहले की बनी हुई एक दीवार। यह दीवार आज से करीब 5000 साल पहले बनाई गई थी। आइये आज जानते हैं इस दीवार के बारे में।
Image Source:
यह दीवार गुजरात के कच्छ के धोलावीरा नामक स्थान पर स्थित है। यह दीवार करीब 5 हजार साल पहले बनी थी। आर्कियालोजिकल सर्वे आफ इंडिया के द्वारा 1967 में इस दिशा में शोध का कार्य हुआ था। देखा जाए तो यह विश्व की पहली साइट है जो की जल संरक्षण के लिए बनाई गई थी। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओसिनोलोजी ने जब इस दीवार पर पहली बार शोध किया तो पता लगा कि यह एक 18 मीटर चौड़ी दीवार है। इस दीवार के बारे में पहले यह अनुमान लगाया गया था की यह शायद दुश्मनों से बचने के लिए बनाई गई थी पर बाद में शोध से पता लगा कि यह दीवार करीब 5 हजार साल पहले सुनामी से बचने के लिए बनाई गई थी। इस शोध ने यह साबित किया था कि आज से 5 हजार साल पहले भी सुनामी भारत में आती थी और लाखों लोगों की जानमाल का खतरा पैदा होता था। खैर इस शोध से यह तो पता लग ही गया था कि इस दीवार की वजह से ही उस समय के लाखों लोगों की जान बचती थी।
Image Source:
भूतपूर्व जियोलॉजी और मरिन आर्कियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजीव निगम इस दीवार के बारे में अपने विचार रखते हुए कहते हैं कि “पहली बार हमने जब सर्वे किया था तो इस दीवार को देखकर यह निष्कर्ष निकाला कि यह दुश्मनों से बचने के लिए बनाई गई है। बाद में यह विचार आया कि यह दीवार इतनी मोटी क्यों है? दीवार की मोटाई अपेक्षा से काफी अधिक थी। अलबत्ता यहां जलाशय होने के भी चिह्न नहीं मिले। बाद के शोध में यह सामने आया कि इस क्षेत्र में पहले सुनामी आया करती थी। इसलिए यह दीवार सुनामी से बचने के लिए ही बनाई गई है।”