बहुत से लोग मानते हैं कि कुतुब मीनार पहले एक मंदिर था। इस बारे में सच का तो नहीं पता, मगर 5 ऐसी वजहें हैं जिनको देख कर यह बात सच ही लगती है। आपको बता दें कि कुतुब मीनार दुनियाभर की ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। इसकी जो वास्तु कला और बनावट है उसको लेकर हमेशा से विवाद रहा है। दिल्ली के सुलतान कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसका निर्माण कराना शुरू किया था, पर इसका आधार ही उस समय बन पाया था जब कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु हो गई। इसके बाद कुतुबुद्दीन ऐबक के उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने इसको आगे बढ़ाया तथा 3 मंजिले बनवाई। उसके बाद फिरोजशाह तुगलक ने 5 वीं और अंतिम मंजिल बनवाई थी। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है पर, कुतुबमीनार तथा उसके आसपास के क्षेत्र की उस समय की बनी इमारतों को देखकर ऐसा नहीं लगता कि यह कोई इस्लामिक ईमारत है। इस संबंध में अभी तक कई ऐसे सबूत भी मिल चुके है। आइये जानते हैं इस बारे में।
1 – हिंदू ढांचा
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वैसे तो कुतुब मीनार को इस्लामिक ईमारत ही माना जाता है। इस पर कुरान की आयतें भी लिखी हुई हैं, लेकिन इसके बॉस में ही एक ढांचा स्थित है, जिस पर गुंबद बना है। इस ढांचे के स्तंभों पर मंदिर की घंटियां भी बनी है तथा पास के एक पत्थर पर भगवान गणेश की प्रतिमा भी खुदी हुई है जो काफी घिसी अवस्था में है। इसी स्थान पर रामायण के युद्ध को पत्थर पर दर्शाया गया है। इस प्रकार से सवाल यह उठता है कि यदि कुतुबमीनार इस्लामिक ईमारत थी तो यहां हिंदू मंदिरों के ढांचे आखिर कहां से आये।
2 – हिंदू ढांचों के बीच कुतुब मीनार क्यों
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यदि ऐसा माना जाएं कि कुतुब मीनार के आसपास हिंदू ढांचे हिंदू लोगों द्वारा ही बनवाये गए तो वे बीच के स्थान पर 50 फिट व्यास का स्थान आखिर क्यों छोड़ते। क्या इसलिए की कुतुबद्दीन ऐबक इस स्थान पर कुतुब मीनार निर्मित कराये? यह प्रश्न विचार योग्य है।
3 – कुतुब मीनार पर घंटियां
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यदि यह माना जाता है कि कुतुब मीनार इस्लामिक ईमारत है और बाकी सब ईमारत हिंदू ढांचे, तो आखिर क्या वजह है कि कुतुब मीनार की दीवार पर घंटियों तथा जंजीर को उकेरा गया था। घंटियां इस्लाम में बैन हैं तो आखिर इस्लामिल शहंशाह क्यों कुतुब मीनार पर घंटियां उकेरने को कहेगा ?
4 – क्या थी कुतुब मीनार निर्मित कराने की वजह
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इस मीनार को निर्मित कराने की वजह अब तक सामने नहीं आई हैं। कुछ लोगों का कहना है कि शहंशाह कुतुबद्दीन ऐबक ने अपने नाम को अमर करने के लिए इसको बनवाया था। यदि ऐसा माना जाये तो कुतुबमीनार पर उसका नाम क्यों नहीं है जब की पास ही बानी एक छोटी मस्जिद पर उसका नाम है। कुछ लोगों का मानना है कि इसका निर्माण नमाज पढ़ने के लिए किया गया था। इस बात को यदि माना जाए तो आखिर नमाज पढ़ने के लिए कोई व्यक्ति इतनी ऊंची मीनार क्यों बनवाएगा जिस पर चढ़ने में ही 45 मिनट लग जाएँ और वैसे भी 800 वर्ष पहले लाउडस्पीकर तो थे नहीं ?
5 – क्या हिंदू मंदिर ही है कुतुब मीनार
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कुतुबद्दीन ऐबक के बारे में ऐसा कहा जाता है कि उसका कुतुबमीनार से कोई संबंध नहीं है, बल्कि वह इस स्थान से 250 मील दूर लाहौर में निवास करता था। 1852 में आर्कलॉजिस्ट सईद अहमद खान ने रिसर्च पेपर प्रजेंट किया था। उन्होंने अपनी रिसर्च में बताया था कि यह एक हिंदू ईमारत है। इस प्रकार से ये कुछ सवाल हैं जो आज भी कुतुब मीनार को हिंदू मंदिर के रूप में सिद्ध करते हैं।