आप भी जाएं देश के इस पहले प्लेन रेस्तरां में

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इंसान में एक सबसे बड़ी खासियत होती है कि उनके दिमाग की कोई सीमा नही होती। इसकी कई उदाहरणें हमें दुनिया की उन चीजों को देखकर मिल सकती है जिसे हम आम भाषा में क्रिएटिव आर्ट कहते है। यह किसी भी चीज में हो सकता चाहे व किसी मशीन या किसी वाहन को बनाने में हो या फिर किसी इमारत को नया लुक देने में हो। एक ऐसे ही क्रिएटिव आर्ट की मिसाल है देश का यह पहला एयरोप्लेन रेस्तरां है जोकि पंजाब के शहर लुधियाना में खोला गया है। इस रेस्तरां ने पूरे शहर में धूम मचा रखी है। लोगों द्वारा बड़ी संख्या यहां जाकर आनंद ले रहे है। आप भी जाएं और देखे इस क्रिटिव रेस्तरां को

कुछ ऐसे बना है यह रेस्तरां

कुछ ऐसे बना है यह रेस्तरांImage source:

इस रेस्तरां को बनाने के लिए एक पुरानी एयर बस का इस्तेमाल किया गया है। यहां आने वाले लोगों को एक प्लेन में बैठकर खाना खाने का अनुभव होता है। अपनी इसी खासियत के चलते इस रेस्तरां का नाम भी हवाई अड्डा रखा गया है। इस रेस्तरां का बैठने वाला हिस्सा एक अस्ली जहाज में बनाया गया है जिसे खास तौर पर दिल्ली से 4 बड़े ट्रकों के जरिय लाया गया। इस रेस्तरां में एक समय पर कुल 180 लोग बैठ कर खाना खा सकते है, मगर इसे खुला और हवादार बनाए रखने के लिए यहां सिर्फ 72 टेबल ही हैं।

इस रेस्तरां को बनाने के लिए कई इंजीनियरों ने काम किया है। इसे बनाने में लगभग 3 महीने का समय लगा। इस रेस्तरां को बनाने के लिए इसके मालिक परमजीत सिंह लूथरा को एक बड़ा श्रेय जाता है। उन्होंने बताया इस रेस्तरां को बनाने का फैसला उन्होंने महाराजा एक्सप्रेस को देखने के बाद लिया था। उन्होंने सोचा कि क्यों न एक ऐसा ही रेस्तरां प्लेन के साथ बनाया जाए। जिसके बाद उन्होंने अपनी सोच को हकीकत की शक्ल दे दी। इस रेस्तरां की खास बात यह है कि यहां पर शुद्ध शाकाहारी खाना मिलता है जिसके चलते यहां आने वाले लोगों की तदाब काफी ज्यादा रहती है।

यहां पहुंचने का रास्ता

यहां पहुंचने का रास्ताImage source:

अगर आप दिल्ली से यहां जाने की सोच रहें हैं तो आपको थोड़ा समय निकाल कर जाना पड़ेगा, क्योंकि पहले तो जान लिजिए की दिल्ली से लुधियाना की दूरी 320 किमी के आसपास है। जिसे कवर करने में आपको 5 घंटे तक का समय लग सकता है। अगर आप बस या ट्रेन से लुधियाना जा रहे हैं तो आपको वहां से आपको आसानी से यहां के लिए टैक्सी मिल जाएगी।

 

shrikant vishnoi
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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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