उ.प्रदेश में योगी सरकार ने अपने कार्यकाल 2017 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के गठन के बाद से ही गो हत्या पर प्रतिबंध लगा दिया था। वैसे ये प्रतिबंध पहले से था लेकिन उनके द्वारा की गई सख्ती के कारण प्रदेश भर के तमाम अवैध मीट स्लॉटर हाउस बंद कर दिए गए थे।
इसका असर यह हुआ जहां एक ओर गो हत्या पर प्रतिबंध लगाया गया तो दूसरी ओर गाय और गोवंश के पशु की बढ़ती हुई तदाद अब सड़कों पर दिखने लगी है। यहां तक कि कई लोगों ने दूध ना देने वाली गायों और पशुओं को भी सड़को पर छुट्टा छोड़ दिया है जिससे सड़कों पर दुर्घटनाएं बढ़ने के साथ फसलों को भी नुकसान होने लगा है।
जानवरों के आतंक से परेशान होकर प्रदेश सरकार ने आवारा पशुओं की देखभाल के लिए उत्तर प्रदेश के हर जिले में गौशाला बनाने का ऐलान किया था। इस प्रस्ताव की स्वीकृति यूपी कैबिनेट की ओर से भी दे दी गई है।
उत्तर प्रदेश सरकार की योजना के तहत हरेक जनपद और शहरी क्षेत्रों में कम से कम 1,000 अस्थाई गौशालाएं बनाई जाएंगी। क्योकि आज के समय में बैलों से खेती करने का तरीका लगभग खत्म हो चुका है। इसलिये लोग बैलों को खुले में छोड़ देते हैं। जो पूरे समय सड़कों पर घूमते हैं जिससे ऐक्सिडेंट तो होते ही हैं। साथ ही में ये पशु किसानों की फसलों को भी बर्बाद करते हैं।
सरकार का मानना है कि गौशाला का निर्माण करने से पशुओं की देखभाल होने के साथ ही इनके दूध, गोबर, कम्पोस्ट आदि को बेचकर गौशालाओं की आमदनी को भी फायदा पहुचेगा। इस काम के लिए तहसील और जनपद स्तर पर समिति का गठन किया गया है, जो स्टेट स्टेयरिंग कमिटी को रिपोर्ट करेगी।
गौशाला का निर्माण करने के लिए सरकार पंचायत निधि, मनरेगा, शहरी निकायों, सांसद क्षेत्र डेवलपमेंट फंड, फाइनैंस कमीशन, विधायक क्षेत्र डेवलपमेंट फंड आदि से फंड जमा करेगी।
सरकार की ओर से ये कहा गया है कि जो लोग अपने पालतू पशुओं को सड़कों और पब्लिक प्लेस पर खुला छोड़ते हैं, उन पर जुर्माना लगाया जाएगा। सरकार का मानना है कि गायों का ध्यान रखकर फसलों की बर्बादी और दुर्घटना में कमी आएगी। सरकार की ओर से अभी 100 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।