देश में कई सारी जगह ऐसी है जहां का रहस्य सदियों से चला आ रहा है। इन जगहों के रहस्य को कोई भी उजागर नहीं कर पाया है। आज हम आपको इंदौर के एक गांव की बात बताने जा रहे हैं। इस विशेष जगह पर सभी आस-पास के लोग लकड़ियां डालते हैं और लकड़ियां अपने आप ही जलने लगती हैं। यही नहीं इन लकड़ियों के जलने का भी एक विशेष समय है। कहा जाता है कि मार्च में ही इस जगह पर लकड़ियां जलती हैं।
देश में आज भी कई अनसुलझे रहस्य ऐसे हैं जिन पर से पर्दा नहीं उठाया गया है। इंदौर के करीब आठ किलोमीटर दूर जटांशकर गांव के पास ही नयाखूंट का जंगल है। इस जंगल में आस-पास के लोग यहां पर कई हजारों क्विंटल लकड़ियां लाते हैं और यह लकड़ियां अपने आप ही जलने लगती हैं। यहां के ग्रमीण लोग इसे होली से जोड़कर देखते हैं। इसी कारण इसे होली टेकरी और होली माल भी कहा जाता है। वर्ष भर लोग इस जगह पर लकड़ियां डालते हैं।
इसके पीछे लोगों का यह मानना है कि जो लोग इस जगह पर लकड़ियां डालते हैं वो पूरे वर्ष हर प्रकार की परेशानियों से बचे रहते हैं। इस जगह पर हजारों क्विंटल लकड़ियां होली के सुबह चार से पांच बजे के बीच अपने आप ही जलने लगती हैं। इन लकड़ियों में न माचिस की तीली दिखाई जाती है, न ही इन्हें जलाने का कोई अन्य तरीका अपनाया जाता है। बस यह लकड़ियां खुद ब खुद ही जलने लगती हैं।
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क्या है कहानी-
कहा जाता है कि एक बार जंगल में आग लग गई। पूरे जंगल की लकड़ियां एक-एक कर जल गईं। बस इस स्थान की ही लकड़ियां बच गईं। बाद में यहां की लकड़ियों को हटाकर देखा गया तो यहां पर पिछले वर्ष की जली हुई लकड़ियों की राख मिली। तब से ही इस भूमि को चमत्कारी भूमि के रूप में माना जाने लगा।
अब यहां पर कई वर्षों से होली से पहले पूरे वर्ष लकड़ियां डाली जाती हैं। साथ ही यहां पर डाली गई लकड़ियों को कोई ले जाने की भी हिम्मत नहीं करता।