रावण को वैसे तो एक राक्षस के रूप में ही जाना जाता है पर हमारे देश में एक स्थान ऐसा भी है, जहां पूरी श्रद्धा भाव एवं निष्ठां के साथ उनकी पूजा की जाती है। दशहरा पर्व पर रावण के पुतले को दहन करने का कार्यक्रम तो देश के कई स्थानों पर होता है। मगर देश का एक हिस्सा ऐसा भी है जहाँ दशहरे के दिन रावण दहन करने के बजाय उनकी पूजा की जाती है। इतना ही नहीं यहाँ की महिलाएं रावण की प्रतिमा से पर्दा भी करती है। आज हम आपको मध्य प्रदेश के 2 ऐसे स्थानों के बारे में बताने जा रहें हैं जहां पर रावण की पूजा की जाती है। मध्य प्रदेश के ये 2 शहर मंदसौर तथा विदिशा हैं।
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मध्य प्रदेश के मंदसौर शहर के लोगों की मान्यता है कि इस शहर का नाम पहले “मन्दोत्तरी” हुआ करता था। आपको हम बता दें की रावण की पत्नी का नाम भी “मन्दोत्तरी” ही था। लोगों का मानना है कि रावण की पत्नी इसी शहर की थी इसलिए लोग मानते है कि यह शहर रावण की ससुराल है। इसी कारण यहां की महिलायें रावण की प्रतिमा के सामने पर्दा करती हैं तथा अपने पैरों में धागा बांधती हैं। इन शहरों में नामदेव समाज की ओर से दशहरे पर्व पर रावण की पूजा की जाती है। मंदसौर में नामदेव समाज के लोगों द्वारा यह कार्य प्रतिवर्ष किया जाता है। सुबह के समय में रावण की प्रतिमा के पास सभी लोग पूजन का कार्य करते तथा शाम को रावण का प्रतीकात्मक वध किया जाता है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण यहां बनी रावण की प्रतिमा टूट गई थी जिसको 2003 में स्थानीय प्रशासन द्वारा मरम्मत करा कर फिर से सही करा दिया गया था। इस प्रकार से प्रतिवर्ष इन शहरों में रावण का प्रतीकात्मक वध कर दशहरा का पर्व मनाया जाता है।