दुनियाभर के सांप हैं इस महिला के दुश्मन, 42 वर्ष में 151 बार काट चुके हैं

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दुनिया में अलग अलग प्रजातियों के जीव पाए जाते हैं। इनमे से कुछ बेहद जहरीले भी होते हैं। इन जहरीले प्राणियों में सबसे प्रसिद्ध नाम “सांप” का हैं। सांपो की बात करें तो आपको पता ही होगा की सांपो की बहुत सी प्रजातियां होती हैं। अपने देश भारत में जितनी प्रजातियों के सांप मिलते हैं उनमें से सिर्फ 10 प्रजातियां ही ऐसी होती हैं जो जहरीली होती हैं। सांपो के जोड़े को तंग करना अपने देश में एक प्रकार का पाप माना जाता हैं।

सांपो के ऊपर बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड में कई फ़िल्में भी बन चुकी हैं। ऐसी मान्यता हैं कि यदि सांप के जोड़े में से एक को मार दिया जाता हैं तो दुसरा उसका बदला लेकर ही रहता हैं। सांपो को लेकर एक यह भी मान्यता हैं कि सांप मानव आकृति को अपनी आंखो में कैद कर लेते हैं इसलिए कभी उसकी आंख में नहीं देखना चाहिए। आज हम आपको जिस घटना के बारे में बता रहें हैं वह भी सर्प प्रजाति से ही जुड़ी हुई हैं। इस घटना को जानकर आप हैरान रह जायेंगे।

45 वर्ष में 151 बार काट चुके हैं सांप –

सांपImage Source:

आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में यहां बता रहें हैं जिसके पीछे सांप 45 वर्ष से पड़े हुए हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस महिला को सांप पिछले 45 वर्ष में 151 बार डस चुके हैं। वर्तमान में इस महिला के शरीर का कोई अंग ऐसा नहीं हैं जिसमें सांप ने न काटा हो। सर्पदंश से पीड़ित इस महिला का नाम “कला देवी” हैं। जो कि 60 वर्ष की हैं और पंजाब के चंडीगढ़ की निवासी हैं। कला देवी की उम्र जब महज 18 वर्ष थी तब से ही सर्पदंश का यह सिलसिला चल रहा हैं और अब तक 151 बार सांपो ने उनके शरीर में काट लिया हैं।

इतनी बात सर्पदंश का शिकार होने के बाद भी यह महिला आजतक जीवित हैं। यह हैरान कर देने वाली बात हैं। खैर सर्पदंश से बचने के लिए कला देवी कई बार मंदिर में ही रुक जाती थी पर जैसे ही वे मंदिर से घर की ओर जा रही होती हैं तो अचानक ही सांप उनको डस लेता हैं। कला देवी के परिजन इस बारे में बताते हैं कि सर्पदंश के बाद कला देवी कई हफ्ते तक होश में नहीं आ पाती, पर उसके बाद में वे स्वस्थ हो जाती हैं और सामान्य जीवन जीने लगती हैं। कला देवी के परिजन उनको सर्पदंश से बचाने का हर संभव प्रयास कर रहें हैं पर आज भी कोई न कोई सांप उनको काट ही लेता हैं।

shrikant vishnoi
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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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