जैसा की आप जानते ही हैं कि हमारे देश में नाग पंचमी के त्यौहार को काफी धूमधाम से मनाया जाता है, इस त्यौहार में लोग सांपों को दूध पिलाते हैं और कई प्रकार से पूजन आदि करते है। यह नाग उत्सव देश में कई जगह बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है और इसका कारण है उन जगहों की विशेषता। आज हम भी आपको एक ऐसी जगह के बारे में बता रहें हैं जहां पर यह नागपंचमी का उत्सव काफी धूमधाम से मनाया जाता है। लोगों की मान्यता है कि यहां से ही नागलोक को रास्ता जाता है और यहां से ही नागलोग पहुंच कर भीम को 100 हाथियों का बल मिला था। आइये जानते हैं इस विशेष जगह के बारे में।
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यह जगह भोपाल में स्थित है और यह पंचमढ़ी नामक नाम से प्रसिद्ध है। इस पंचमढ़ी नामक स्थान पर “नागद्वारी” नामक एक मंदिर है, इस मंदिर की यात्रा मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के लोगों द्वारा करना बहुत अच्छा माना जाता है, इसलिए यहां पर इन दो राज्यों से सर्वाधिक लोग आते हैं।
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यहां की यात्रा साल में सिर्फ 15 दिन ही होती है और यह नागद्वारी यात्रा कहलाती है, यह यात्रा 15 दिन चलती है और आखिर में नागपंचमी के मेले पर ख़त्म हो जाती है। जो की नागद्वारी नामक स्थान पर ही लगता है। इस यात्रा में बहुत सी जगह आपको जहरीले सांप मिलते हैं पर ये कभी न तो किसी को परेशान करते हैं और न ही किसी को डसते हैं। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व इस यात्रा के बीच में ही आता है इसलिए वन विभाग इस यात्रा के लिए केवल 15 दिन की ही अनुमति देता है।
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नागद्वारी की इस यात्रा की शुरुआत होती है काजरी नामक गांव से, असल में कहा ऐसा जाता है कि गांव में काजरी नामक एक महिला रहती थी और उसने संतान प्राप्ति के लिए नाग देवता से मन्नत मांगी थी और वह यहां नाग देवता को रोज काजल लगाती थी, उसकी मन्नत समय पर पूरी हो गई और जब वह एक दिन नाग देवता मंदिर में काजल लगाने के आई तो नाग देवता का विशाल और वास्तिविक रूप देख कर वह डर गई और उसकी मृत्यु हो गई। तब से इस यात्रा की शुरुआत इस गांव से ही की जाती है। इस यात्रा की शुरुआत करीब 100 साल पहले हुई थी, यह यात्रा कई मायनो में अमरनाथ की कश्मीर यात्रा से भी खतरनाक है।