खेल से संबंधित कई फिल्में बनी है, पर आज हम आपको अपने देश के उस गांव के बारे में बता रहें हैं, जहां के हर घर में स्टेट या नेशनल लेवल का खिलाड़ी मौजूद है। जी हां, अपने देश में खेलों को लेकर कई फिल्में बन चुकी है और कई ऐसी फिल्में भी बनी है, जिनमें लड़कियों का खेलों की ओर उत्सावर्धन किया है, पर वास्तव में हकीकत कुछ और भी है। आज हम आपको अपने देश के एक ऐसे गांव से मुखातिब करा रहें हैं जहां के हर घर में आपको नेशनल या स्टेट लेवल का खिलाड़ी मिल जाएगा। इस गांव की लड़कियां वर्तमान में कबड्डी खेल में नए आयामों को छू रही है। आपको हम यह भी बता दें कि इसी गांव से 10 लड़कियां भारत की नेशनल प्लेयर भी हैं। कबड्डी का क्रेज इस गांव में कुछ ऐसा है कि आसपास के गावों में भी इस खेल को बड़े पैमाने पर खेला जाता हैं। कुल मिलाकर इस क्षेत्र में अब 200 से ज्यादा स्टार प्लेयर मौजूद हैं। आइए अब आपको विस्तार से बताते हैं इस गांव के बारे में।
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सबसे पहले हम आपको बता दें कि इस गांव का नाम “जखारा” है। यह गांव ग्वालियर से लगभग 30 किमी की दूरी पर है। इस गांव को कबड्डी खेल से एक नई पहचान मिली है। इस गांव में जब लड़कियों ने कबड्डी खेलना शुरू किया तब लोगों ने सिर्फ उनका मजाक बनाया, लेकिन उन्होंने खुद ही मैदान तैयार किया और कबड्डी खेलना शुरू किया। यह सब बिजौली के जगन्नाथ सिंह परमार के कारण शुरू हुआ था। आपको हम बता दें कि जगन्नाथ सिंह खेल में ही अपना करियर बनाना चाहते थे, पर आर्थिक तंगी के कारण वे ऐसा नहीं कर पाए। इसके बाद में उन्होंने ठाना कि वे इस क्षेत्र के युवाओं को खिलाड़ी बनाएंगे। उन्होंने इसके लिए कबड्डी का खेल चुना, जिसमें पैसे की जरूरत भी नहीं होती और युवाओं को कबड्डी खेलना सिखाया। शुरूआत में सब कुछ काफी परेशानी भरा रहा। कोई अपनी लड़कियों को कबड्डी खेलने के लिए भेजना नहीं चाहता था, पर जब 2-4 परिवार तैयार हो गए, तब कबड्डी का खेल शुरू हो गया और कुछ समय में जब कुछ लड़कियां नेशनल लेवल पर पहुंच गई, तब अन्य लड़कियां भी कबड्डी को खेलने के लिए आने लगी। इस प्रकार से नए-नए खिलाड़ी बनने लगें। आज इस गांव के हर घर में कोई न कोई नेशनल या स्टेट लेवल का खिलाड़ी है।
