मनुष्य की अपनी भाषा होती है वह जहां पर भी रहता है वहां की भाषा उसकी मातृभाषा कहलाती है, वह उसी को समझता है और उसी भाषा में अपने दैनिक कार्य करना उसे आसान भी लगता है पर हालही में एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें एक बाघ तमिल भाषा का आदि हो गया है। असल में यह बाघ पहले तमिलनाडु के एक वन्य उद्यान में था पर हालही में हुई जानवरों की अदला-बदली में यह उदयपुर लाया गया है, जिसके चलते यहां पर उसको भाषा समझने में बहुत परेशानी पड़ रही है, क्योंकि इस बाघ की परवरिश शुरू से ही तमिलनाडु के वन्य उद्यान में हुई थी, जिसके चलते यह तमिल भाषा को सही से समझता है पर उदयपुर के वन्य उद्यान में आ कर इसको तमिल भाषा में समझाने वाला कोई शख्स नहीं मिला, इसलिए यह बाघ अब भाषा की परेशानी से जूझ रहा है, आइये जानते हैं इस बाघ के बारे में।
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असल में चेन्नई के अरिग्नर अन्ना जियोलॉजिकल पार्क से सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क, उदयपुर में कुछ जानवरों की अदला-बदली हुई है, जिसके चलते चेन्नई से दो भेड़िये तथा एक सफेद बाघ को उदयपुर भेज गया है। जहां तक बात भेड़ियों की है तो वे तो उदयपुर में सही से एडजेस्ट हो चुके हैं पर यह सफेद बाघ अभी भाषा की परेशानी से जूझ रहा है क्योंकि इसकी परवरिश शुरू से चेन्नई में हुई है और इसलिए यह तमिल भाषा को ही समझता है। अब उदयपुर वन्य विभाग के लोग भी इस समस्या से त्रस्त आ गए हैं कि इस बाघ को समझाने के लिए अब वे लोग किसी तमिल व्यक्ति को कहां से लाएंं, इसलिए अब उदयपुर के वन्य विभाग ने चेन्नई के वन्य विभाग वाले लोगों से उदयपुर में उनका ही कोई केयरटेकर भेजने की बात कही है ताकि वह कुछ समय यहां रह कर इस सफेद बाघ की देखभाल कर सकें।