जीवन में आपको सुख और व्यापार में उन्नति के शिखर पर पहुंचा देता है यह उपाय

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आज के दौर में कई व्यक्ति आर्थिक समस्या से जुझ रहें हैं, इस कारण वह अपने जीवन में सच्चे सुख और शांति को प्राप्त नहीं कर पाते हैं, ऐसे में आज हम इस समस्या से परेशान सभी लोगों के लिए एक उपाय लेकर आए हैं, जो आपकी आर्थिक समस्याओं के साथ आपके जीवन की सभी परेशानियों को भी दूर कर देगा।

जैसा की आप जानते ही होंगे कि हमारे पूर्वजों ने प्राचीन काल में जीवन की किसी भी समस्या को दूर करने के लिए अनेकों प्रकार के यंत्र बनाए थे और ये यंत्र अलग-अलग समस्याओं के हिसाब से अलग-अलग ही फल प्रदान करते थे, वहीं इनका उपयोग पूजन में भी पहले बड़े स्तर पर किया जाता था। आज हम आपको इन सभी यंत्रों में सबसे बड़े माने जाने वाले “श्री यंत्र” के बारे में जानकारी दे रहें हैं, ताकि आप इसका उपयोग कर अपने जीवन को सुखी और आनंदित बना सकें, तो आइए जानते हैं श्री यंत्र के बारे में।

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सबसे पहले हम आपको बता दें कि श्री यंत्र को यंत्रराज भी कहा जाता है और यही वह एकमात्र यंत्र है जिसमें ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और उसके अनेक रहस्य समाये हुए हैं। इसके अलावा श्री यंत्र को “शाक्त पंथ” में पूजनीय माना जाता है और इसको “देवी त्रिपुर सुंदरी” का प्रत्यक्ष स्वरुप माना जाता है। श्री यंत्र को “शैव पंथ” के साथ-साथ “नाथ पंथ” में भी विशेष महत्त्व मिला है।

हिंदू धर्म के अलावा जैन धर्म के ग्रंथों में भी श्री यंत्र की कई जगह प्रशंसा की गई है। सामान्यतः व्यक्ति अपने व्यापारिक लाभ के लिए इसका उपयोग करते हैं, क्योंकि यह व्यापारिक कार्य में बहुत ज्यादा प्रभावकारी माना गया है। इसके अलावा इसमें अष्ट सिद्धियों के साथ कई अन्य दैविक शक्तियां भी मौजूद रहती हैं, जो की पूजन करने वाले व्यक्ति के जीवन से सभी नकारात्मक प्रभावों को दूर कर देती है।

श्री यंत्र को सदैव आप अपने घर की उत्तरी दीवार पर दक्षिण मुखी करके ही लगाएं। आप श्री यंत्र को पूजन के स्थान में भी रख सकते हैं तथा अपने व्यापारिक स्थल के पूजा वाली जगह पर भी आप इसे स्थापित कर सकते हैं। यदि आप आर्थिक तरक्की चाहते हैं, तो आप श्री यंत्र के सामने “श्री सूक्त” का पाठ नियमित रूप से जरूर करें। यह बात आप सैदेव ध्यान रखें कि यदि आप अपने घर में श्री यंत्र को स्थापित कराना चाहते हैं, तो ये कार्य किसी अनुभवी पंडित से ही कराएं।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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