मछलियां आपने बहुत सी देखी ही होंगी, पर क्या आपने अपने देश की 150 किलो की मछली को देखा है? यदि नहीं, तो आज हम आपको अपने ही देश की इस दुर्लभ प्रजाति की मछली से रूबरू करा रहें हैं, इस प्रजाति की मछलियों की खासियत यह होती है कि यह करीब 150 किलो तक वजन की होती हैं। केवल भारत में ही इस प्रजाति की मछलियां पाई जाती है, लेकिन वर्तमान में इस प्रजाति की मछलियों की संख्या लगातार घटती जा रही है और यह मछली अब खत्म होने की कगार पर पहुंच गई है। इस मछली को बचाने के लिए सरकार की ओर से अभी कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जा रही है। आइए आपको विस्तार से बताते हैं इस मछली के बारे में।
सबसे पहले हम आपको बता दें कि यह मछली छत्तीगढ़ की इंद्रावती नदी में पाई जाती है और अब वर्तमान में यह मछली खत्म होने की कगार पर खड़ी है। इस मछली का वजन 150 किलो तक का होता है, इसलिए मछुआरे इसे लोहे के तार की विशेष जाली बनाकर पकड़ते हैं।
असल में यह मछली साधारण जाल को आसानी से काट लेती है। आपको बता दें कि गर्मियों में इंद्रावती नदी का जल स्तर कम हो जाता है, तब मछुआरे इस मछली को बड़ी मात्रा में पकड़ते हैं, जिसके चलते नदी में इनकी संख्या लगातार कम होती जा रही है। बता दें कि इस मछली को “बस्तर की शार्क” के नाम से भी जाना जाता है और वैसे इस मछली का असल नाम “बोध” है।
image source:
मछुआरे इसे पकड़ने के बाद निकट के बारसूर बाजार में खुलेआम बेचते हैं। कई पर्यावरण समीतियां इस मछली को बचाने के लिए काफी समय से संघर्ष कर रही हैं, पर छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से अभी तक इस विषय पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।
बोध मछलियों की प्रजाति लगातार कम होती जा रही हैं, पर अभी तक बहुत कम लोग ही इस मछली के संरक्षण के कार्य में लगे हुए हैं। वर्तमान में बोध मछली को “राज्य मछली” का दर्जा देने की मांग की जा रही है, ताकी इस मछली का संरक्षण किया जा सके।