यह मुस्लिम परिवार बरसों से करता आ रहा है रामलीला का आयोजन

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हमारे देश में जहां एक और राजनैतिक पार्टियां वोट बैंक की राजनीति कर हिन्दू-मुस्लिम के बीच भेद भाव का बीज बोकर आपसी लड़ाई झगड़े करवा रही है तो दूसरी ओर यही एकता की मिसाल बन रहा है एक मुस्लिम परिवार। जिसनें राम-रहिम जैसे दो पवित्र नाम को जोड़कर धार्मिक सौहार्द्र की एक अनूठी मिसाल कायम की है।

जी हां हम बात कर रहे ऐसे परिवार की जो मुस्लिम होकर भी भगवान राम के पूरे चरित्र को अपने किरदार से निभा सकता है। और पिछले 30 सालों से यह मुस्लिम रामलीला का मंचन करते आ रहा है जिसके सभी पात्र हिंदू नही बल्कि मुस्लिम ही निभाते आ रहे है।

हिन्दू-मुस्लिम

साल 1972 बख्शी का तालाब नामक जगह पर  इस मुस्लिम परिवार ने ही रामलीला को शुरू कराने की पहल की थी।और इस पहल का सबसे प्रमुख उद्देश्य सांप्रदायिक सद्भावना का संदेश हर किसी के दिल में फैलाने के लिए था। जो आज भी अनवरत जारी है।

बख्शी का तालाब के नजदीक रहने वाले मंसूर अहमद ख़ान बताते है कि बख्शी का तालाब में पहली बार रामलीला का मंचन अक्टूबर 1972 में उनके वालिद डॉ मुज़फ़्फ़र हुसैन और पंचायत के अध्यक्ष मैकूलाल यादव के द्वारा कराया गया था। जिसमें सभी धर्म के लोग हिस्सा लेते थे।

हिन्दू-मुस्लिम

56 साल के मोहम्मद साबिर ख़ान बताते है। रामलीला का हिस्सा लेने से पहले रामायण का ज्ञान होना जरूरी है जो हर मुस्लिम इसके बारें में जानता है। और सभी को रामायण का पूरा ज्ञान है। हिन्दू-मुस्लिम एकता के बारें में उनका मानना है। अल्लाह ने इंसान का बटवारा करके नही भेजा है हम सब भाई-भाई हैं। और इन सबसे ऊपर हम इंसान हैं। जिसका उदां। राम लीला के इस मंच से देख सकते है।

हिन्दू-मुस्लिम

Pratibha Tripathi
Pratibha Tripathihttp://wahgazab.com
कलम में जितनी शक्ति होती है वो किसी और में नही।और मै इसी शक्ति के बल से लोगों तक हर खबर पहुचाने का एक साधन हूं।

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