मानवीयता- ये बुजुर्ग दंपत्ति दान में रद्दी पेपर मांगकर गरीब बच्चों को 3 वर्षों से दे रहा है शिक्षा

-

दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जो गरीब लोगों की सहायता के लिए बहुत से काम करते हैं और अपनी मानवीयता से उनके आगे बढ़ने की राह को रोशन करते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही बुजुर्ग दंपत्ति से मिलवा रहें हैं जिन्होंने अपनी मानवीयता को समाज के सामने रख कर एक मिसाल कायम की है। आपको बता दें कि यह बुजुर्ग दंपत्ति पिछले 3 सालों से गरीब बच्चों को शिक्षा दे रहा है। ये लोग अपने आसपास के ऐसे बच्चों को शिक्षा देने का कार्य कर रहें हैं जिनके पास न स्कूल जाने के साधन हैं और न फीस के लिए पैसे। ऐसे सभी बच्चों के लिए यह दंपत्ति एक मसीहा की तरह है।

लोगों से रद्दी लेकर कर रहें हैं बच्चों का जीवन रोशन

This elderly couple has been asking for junk papers to give education to poor children 1image source:

आपको बता दें कि गरीब बच्चों को शिक्षा देने का यह कार्य रमेश चंद्र चतुर्वेदी तथा उनकी पत्नी सरोज चतुर्वेदी कर रहें हैं। पिछले 3 वर्षों से ये लोग बनवासी कल्याण परिषद संस्था से जुड़कर इस कार्य को कर रहें हैं। रमेश चंद्र चतुर्वेदी पीडब्ल्यूडी से रिटायर्ड इंजीनियर है। यह बुजुर्ग दंपत्ति भोपाल के होशंगाबाद रोड स्थित शुभालय पर्ल कॉलोनी के निवासी है। गरीब बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए ये लोगों से रद्दी दान में लेते हैं और उस रद्दी को बेचकर ये लोग आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की सहायता करते हैं। कालोनी के लोग भी इस बुजुर्ग दंपत्ति के इस कार्य को देख कर इनका साथ देते हैं और प्रतिमाह अपने घर की सारी रद्दी को इन्हें दे देते हैं। पिछले तीन वर्ष में इस बुजुर्ग दंपत्ति ने रद्दी बेचकर करीब डेढ़ लाख रूपए से ज्यादा इकट्ठे किये थे जिनको गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए बनवासी कल्याण परिषद संस्था को दान कर दिया।

रद्दी वाला लेता है 2 रुपये ज्यादा में रद्दी

This elderly couple has been asking for junk papers to give education to poor children 2image source:

कालोनी के लोग तथा आसपास के निवासी अब अपने घर से निकली रद्दी को चतुर्वेदी परिवार को दे देते हैं। जब रद्दी लगभग एक क्विंटल की हो जाती है तो वे रद्दी खरीदने वाले को बुला कर उसको बेच देते हैं। रमेश चतुर्वेदी कहते हैं कि रद्दी खरीदने वाला व्यक्ति भी इस कार्य को दान का काम मानता है इसलिए वह अपने सामान्य मूल्य से 2 रूपए ज्यादा दाम में रद्दी को खरीदता है। रद्दी से मिले पैसे रमेश चतुर्वेदी संस्था को दान कर देते हैं जिससे गरीब बच्चों की पढ़ाई चलती है। इस प्रकार से यह परिवार अपनी मानवीयता से गरीब बच्चों के जीवन को रोशन कर रहें हैं।

shrikant vishnoi
shrikant vishnoihttp://wahgazab.com
किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

Share this article

Recent posts

Popular categories

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent comments