आप कृष्ण-अर्जुन और गीता के बारे में तो जानते ही होंगे पर आज हम आपको एक ऐसे वृक्ष के बारे में बताने जा रहें हैं जो की कृष्ण के विराट रूप का आज एकमात्र साक्षी है, यही वह वृक्ष है जिसके नीचे कृष्ण द्वारा गीता ज्ञान देने की बात कही जाती है। आइये जानते हैं इस वृक्ष के बारे में।
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यदि आप कुरुक्षेत्र से लगभग 8 किमी. आगे की और चलेंगे तो आपको पेहवा नामक स्थान पर ज्योतिसर नामक स्थान मिलता है। यही वह स्थान है जहां पर महाभारत के युद्ध से पहले श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता ज्ञान दिया था और उसको युद्ध के लिए मनाया था। ज्योतिसर नामक इस स्थान पर एक वटवृक्ष है, ऐसा कहा जाता है कि श्री कृष्ण ने इस वृक्ष के नीचे ही अर्जुन को गीता ज्ञान दिया था। यह पेड़ 5000 साल से भी ज्यादा पुराना है और लोगों के लिए श्रद्धा का केंद्र है।
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इस पेड़ के आगे जो भी गुजरता वह अपना सिर इस पेड़ के सामने झुका लेता है। ज्योतिसर नामक इस स्थान पर एक सरोवर भी है जिसको ज्योति सर यानि ज्ञान का सरोवर कहा जाता है, कुछ लोग इसको ज्योतिश्वर महादेव नाम से भी पुकारते हैं। ज्योतिसर नामक यह स्थान कभी सरस्वती नदी के किनारे हुआ करता था जो की वर्तमान में लुप्त हो चुकी है।
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ऐसा कहा जाता है कि ज्योतिसर नामक इस स्थान पर आदि शंकराचार्य भी गीता के विषय चिंतन-मनन करने के लिए आये थे। इस स्थान पर एक प्राचीन शिव मंदिर भी हुआ करता था, जिसके बारे में मान्यता है कि कश्मीर के राजा द्वारा इसका निर्माण कराया गया था।