बहुत सी खबरें इस प्रकार की होती हैं जिनके बारे में सुनने या पढ़ने से लोग चकित हो उठते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही पत्थर के बारे में जानकारी दे रहें हैं, जो की श्रीलंका से भारत में आकर गिरा था। जी हां, आज हम आपको एक ऐसे पत्थर के बारे में बताने जा रहें हैं जो की श्रीलंका से भारत के मध्य प्रदेश में आकर गिरा था, लेकिन इस पत्थर के साथ में पौराणिक इतिहास भी जुड़ा हुआ है, जिसके कारण यह पत्थर आज लोगों की श्रद्धा का केंद्र बना गया है और लोग इस पत्थर को शनिदेव का प्रतिरूप मानते हैं। आइए अब आपको हम विस्तार से बताते हैं इस खबर के बारे में।
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शनिदेव के बहुत से मंदिर अपने देश तथा विदेश में हैं, पर आज हम जिस मंदिर की बात कर रहें हैं वह अति प्राचीन है तथा त्रेतायुग से संबंधित है, इसलिए लोगों की श्रद्धा इस मंदिर पर बहुत अधिक है। आपको हम बता दें कि यह मंदिर मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के ऐती नामक स्थान पर है। इस मंदिर का नाम “शनिश्चरा मंदिर” है तथा यहां बड़ी मात्रा में लोग आते हैं। इस मंदिर की प्रतिमा के रूप में स्थित यहां लगे पत्थर के शनि पिंड के बारे में लोगों की मान्यता है कि इस शनि पिंड को भगवान हनुमान में श्रीलंका से फेंका था, जो की इस स्थान पर गिरा था। यहां पर भगवान शनि देव को तेल आदि चढ़ाते है तथा यहां पर उनसे गले मिलने की प्रथा भी है। मान्यता यह है कि लंका के राजा रावण ने शनिदेव को अपने यहां कैद करके रखा हुआ था, पर जब भगवान हनुमान ने लंका दहन किया था, तो उन्होंने भगवान शनिदेव को आजाद करा कर लंका से बाहर फेंक दिया गया था और शनिदेव मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में “शनिश्चरा” नाम से यहां बस गए थे। यह मंदिर त्रेतायुग से है और इसका निर्माण महाराजा विक्रमादित्य ने कराया था तथा इसके बाद में मराठा लोगों के समय में इस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ था।