लोहे को सोने में बदलने वाले पारस पत्थर के बारे में तो आपने काफी कुछ सुना ही होगा, पर क्या आप जानते हैं कि भारतीयों के पास सच में ऐसी विद्या थी। आज हम आपको इस प्राचीन विद्या के बारे में बाता रहे हैं। जिसे जानकर आप हैरान रह जायेंगे। इस रहस्य को जानकर आप यह समझ जायेंगे कि भारत को सोने की चिड़िया आखिर क्यों कहा जाता था। आखिर भारत में विश्व में सबसे ज्यादा सोना किस प्रकार से आया था।
सम्राट अशोक के विद्वान लोगों की रहस्यमय किताबें
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आपको बता दे कि सम्राट अशोक के पास कुछ विद्वान तथा उनकी लिखी कुछ किताबें थी। ये विद्वान लोग कौन थे इस बारे में आज तक कोई नहीं जानता। इन विद्वानों की लिखी एक किताब का नाम “अलकेमी” था जिसका अर्थ होता है किसी भी ठोस वस्तु को सोना बनाने की कला। सम्राट अशोक का मानना था कि यदि ये किताबे किसी गलत व्यक्ति के हाथ में पड़ गई तो वह इनका गलत फायदा उठाना चाहेगा। यही कारण था कि सम्राट अशोक ने इन सभी किताबों को छुपा दिया था।
क्या विशाल मंदिरों में बनाया गया था सोना
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मान्यता है कि सोना बनाने वाली इस किताब की विद्या का परिक्षण भारत में कई बार किया गया था। यह परिक्षण भारत के अलग अलग विशाल मंदिरों के अंदर गुप्त रूप से किया गया था। आज भी बहुत से मंदिर प्राचीन काल से सोने से भरे पड़े हैं। बहुत से मंदिरों में गुप्त रूप से खजाना छुपा हुआ है। इस संबंध में हम लोह पद्मनाभ मंदिर तथा सोमनाथ मंदिर को रख सकते हैं। पिछले समय के लोग भी अपने शरीर को सोने के बड़े बड़े आभूषणों से ढके रहते थे। इन लोगों के पास में इतना सोना अचानक कहां से आ गया था। इस बात पर विचार किया जाए तो यह सब सम्राट अशोक की किताब की ओर ही इशारा करता है।
सम्राट अशोक के 9 विद्वान हो गए थे गुम
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माना जाता है कि अपने समय के कुछ विद्वानों को बुलाकर सम्राट अशोक ने 5 किताबों के ज्ञान को लेखवद्ध करा दिया था और इन 9 पुस्तकों को 9 विद्वानों को दे कर उनको लोगों की निगाह से दूर जानें को कह दिया था। आज भी इन लोगों तथा इनकी पुस्तकों के बारे में किसी को नहीं पता है। माना जाता है कि सम्राट अशोक ने एक सीक्रेट सोसायटी बनाई थी जिसमें ये 9 गुप्त विद्वान शामिल थे। बाद में इन लोगों के बारे में कोई पता नहीं लग सका और उनकी लिखी वे किताबे भी गुमनाम होकर खो गईं।