इस 70 वर्षीय बजुर्ग ने अकेले ही खोद दिया 33 फीट गहरा कुंआ

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कहते है कि इंसान में अगर जज्बा हो और उसमे कुछ करने इच्छा हो तो कोई भी चुनौती उसके लिए बड़ी नही होती। इसकी एक जीती जाति मिसाल थे भारत के दशरथ मांझी, जिन्होंने अकेले ही एक छैनी और हथोड़े के जरिये पूरा पहाड़ तोड़ दिया था। अब इसी तरह का एक हैरतअंगेज कारनामा मध्यप्रदेश के जिला छतरपुर में पड़ते गांव हडुआ के निवासी सीताराम राजपूत ने कर दिखाया है। दरअसल पिछले लंबे समय से सीताराम के गांव में पानी की समस्या चल रही है। इसकी वजह से लोगों को मिलो दूर से पानी भर कर लाना पड़ता है। इसी समस्या को हल करते हुए सीताराम ने अकेले ही अपने दम पर एक कुआं खोदकर पानी ढूंढ निकाला है। 70 वर्षीय सीताराम के इस हौंसले को देख कर हर कोई उनके आगे नत्मस्तक है। आइये जानते है सीताराम जी के बारे में।

33 फीट गहरा कुआं खोद डाला –

33 फीट गहरा कुआं खोद डालाImage source:

जैसा कि आपको ऊपर बताया गया है कि सीताराम के गांव हडुआ में पानी की भी बहुत समस्या थी। इस समस्या की विक्रालता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि कई बार गर्मी के दिनों में यहां के लोगों को 2-2 महीने पानी की एक बूंद तक के लिए तरस जाते थे। इसके हल हेतु गांव वासियो ने कई बार प्रशासन का दरवाजा खटखटाया, कई अरजियां भेजी, मगर प्रशासन के कान पर जूं तक नही रेंगी। गांव के लोगों व अपने परिवार को पानी के लिए इस तड़पता देख सीताराम ने फैसला किया कि वह खुद इस परेशानी का हल करेंगे। इसके चलते उन्होंने बिना किसी से मदद मांगे कुंआ खोदने का काम शुरु कर दिया और धीरे धीरे उन्होंने 33 फीट गहरा कुंआ खोद कर पानी निकाल दिया।

किसी ने भी मदद के लिए हामी नही भरी –

किसी ने भी मदद के लिए हामी नही भरीImage source:

सीताराम ने अपने बारे में बताते हुए कहा कि जब उनकी आयु 9 साल थी तो उनके पिता की मौत हो गई थी। जिसके चलते वह अपनी मां और छोटे भाई के साथ हडुआ गांव में आ गए। बड़े होने पर घर की सारी जिम्मेदारी उन्हीं के सिर आ गई। जिम्मेदारियों का बोझ इतना था कि वह खुद शादी तक नही कर पाए। अब  70 साल की उम्र में वह अपने छोटे भाई के साथ रहते हैं। अपनी कुंआ खोदने की कहानी के बारे में उन्होंने बताया कि जब उन्होंने खुद से गांव में कुंआ खोदने की बात की तो किसी भी गांव वाले ने उनका समर्थन नही किया। जिसके चलते उन्होंने फैसला किया कि वह बिना किसी से मदद लिए अपने दम पर ही इस कुएं को खोदेंगे। बहरहाल अब सीताराम एक इस कार्य के बाद अब वह यहां के हीरो बन गए है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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