पूर्वजन्म को कई धर्मों में स्थान नहीं दिया गया है पर हिन्दू धर्म में पूर्वजन्म का अपना एक विशेष और सिद्धांत स्थान है, पूर्वजन्म का सिद्धांत कहता है कि आत्मा कभी नहीं मरती है वह सिर्फ एक शरीर को छोड़ कर अन्य शरीर को धारण करती है। इस प्रकार से पहले का जन्म व्यक्ति का पूर्वजन्म कहलाता है। इस दिशा में पुरातन समय से बहुत से योगियों और परामनोवैज्ञानिकों द्वारा खोज की गई है और कहा जाता है कि स्वयं की कोशिश से मानव अपने पूर्व के 9 जन्मों को देख सकता है पर जो भी अभ्यास इस दिशा में किये जाते हैं उनका प्रयोग किसी अनुभवी व्यक्ति या मागदर्शक के संरक्षण में ही किया जाना चाहिए क्योंकि इस अभ्यासों में कई प्रकार के विशेष नियमों और कायदों को भी अपने जीवन में डाला जाता है। जिसके बारे में आपको आपका मार्गदर्शक ही बताता है। हम यहां आपको कुछ तरीकों की सिर्फ जानकारी मुहैय्या करा रहें हैं।
1- सम्मोहन –
सम्मोहन शब्द से आप परिचित होंगे ही, यह शब्द परामनोविज्ञान में काफी फेमस शब्द है हालांकि इसके भी अपने प्राकृतिक नियम और कायदे होते हैं पर इसकी सहायता से यदि व्यक्ति चाहें तो अपना पूर्वजन्म देख सकता है। इसके लिए आपको किसी परामनोविज्ञानी अनुभवी व्यक्ति की सहायता लेनी होती है जो आपको सम्मोहित कर आपके पूर्व जीवन में आपकी चेतना का प्रवेश करा देता है। इसके अलावा इसकी एक और शाखा होती है जिसको “स्व सम्मोहन” कहा जाता है। इसके जरिये आप स्वयं के द्वारा स्वयं को ही सम्मोहित करके अपने पूर्व जन्म में जा सकते हैं। इसको सीखने के लिए आपको किसी अनुभवी और योग्य मार्गदर्शक के पास जाना होगा।
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2- कायोत्सर्ग पद्दति –
कायोत्सर्ग का सीधा सीधा अर्थ है “अपनी काया यानी शरीर से ऊपर उठना”, इस पद्दति में आपको अपने शरीर को स्थिर करना, शीथिल करना और तनाव मुक्त कर अपनी चेतना को शरीर के बंधनों से मुक्त करना सिखाया जाता है। निरंतर अभ्यास से जब आपकी चेतना एक निश्चित ऊंचाई तक ऊपर की और गतिवान हो जाती है तो आप अपने पूर्वजन्म को देखने में समर्थ हो जाते हैं।
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3- अनुप्रेक्षा पद्दति –
अनुप्रेक्षा पद्दति जैन धर्म की पद्दति है, जिसमें मानसिक तौर पर आतंरिक अभ्यास कराया जाता है। इस अभ्यास में प्राचीन घटनाओ के चिंतन से लेकर स्वयं को सुझाव देकर पुरातन स्मृतियों में अपनी चेतना को लौटाया जाता है। इसके निरंतर अभ्यास से अभ्यासी अपने पूर्वजन्म की घटनाओं को देखने में समर्थ हो जाता है।