‘कटाना’ ये वो नाम है जिसे जापान के लोग अपनी भाषा में कटाना को तलवार के नाम से जानते है। ये तलवारें बेहद धारदार और मजबूत होती हैं।जिसे सदियों से जापान के लोग समुराई योद्धाओं के लिए बनाते आ रहे है। ये तलवारें अच्छे से तपाए गए लोहे से बनती हैं, जो बेहद सख्त होता है।
पहले के समय में लोग इसका प्रयोग युद्ध के दौरान लोगों को मार काट के लिये किया करते थे लेकिन अब यह तलवार धरती में ही नही आतरिक्षं में भी कहर बरसाने को तैयार हो रही है। जी हां अब इस तलवार से काटे जायेगें आतंरिक्ष में बनी चट्टान।
बताया जाता है जपाना ने अपने अंतरिक्ष मिशन हयाबूसा को (अंतरिक्ष यान रियूगू नाम के उल्कापिंड )की पूरी जांच-पड़ताल के साथ वहां के नमूने लाने के लिए भेजे गए थे। लेकिन कोई भी मिशन उल्कापिंड से चट्टानों के नमूने नहीं ला सका। हर बार उनका मिशन इस कार्य के लिये विफल रहा। लेकिन अब जापान के कई इंजीनियर्स और वहां के एक मशहूर तलवार निर्माता साथ मिलकर एक ऐसी लोहे की मशीन को बनाने में जुटे हुए हैं, जो उल्कापिंड से चट्टानों के काटने में मदद करेगी।
नई तकनीक की मदद से बनायी जाने वाली इस कटाई मशीन में तामाहागाने का इस्तेमाल हुआ है। तामाहागाने, लोहे और तारकोल से बनता है। जिससे मशहूर जापानी तलवारें बनाई जाती हैं। इस तलवार की धार बहुत तेज हो कि इसके लिये जापान के समुद्री तटों पर स्थित लोहे के कणों वाली बालू को एकत्रित करके उसे गलाकर तपाया गया ।फिर ठंडा करने के बाद है। ये प्रक्रिया कई बार दोहराई गई। जिससे लोहा बहुत सख़्त बन जाये। इसके बाद इस लोहे से गोलाकार यंत्र तैयार बनाये गए। जिसकी धार ब्लेड जैसी है। और ये अंदर की ओर से मुड़े हुए हैं। जिससे इस तलवार से कठोर से कठोर चीज असानी के साथ काटी जा सकती है। अब इस तैयार मशीन को जापान के अंतरिक्ष वैज्ञानिक इस यंत्र को अंतरिक्ष यान से रियूगू उल्कापिंड पर भेजना चाहते हैं। जिससे वो इस यंत्र के सहारे उल्कापिंड की मिट्टी और चट्टानें निकालकर वापस धरती पर लाने की योजना बना रहे है।