ये हैं चार रहस्यमयी शक्तिपीठ, आज तक नहीं सुलझ पाया इनका रहस्य

-

सबसे पहले हम आपको बता दें की आखिर शक्तिपीठ किन विशेष स्थानों को कहा जाता है। असल में जब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से देवी सती के मृत शरीर के टुकड़े किये थे तो वे टुकड़े जिन जिन स्थानों पर गिरे थे। वे स्थान शक्तिपीठ कहलाते हैं। अतः आप कह सकते हैं की देवी सती की दिव्य देह की ऊर्जा से भरपूर स्थान विशेष शक्तिपीठ कहलाते हैं। कुल मिलाकर 51 शक्तिपीठ हैं। इन सभी स्थानों पर देवी आदिशक्ति के भक्त लोग बड़ी संख्या में दर्शन करने के लिए आते हैं। लेकिन विशेषकर नवरात्र में इन स्थानों पर भक्तों की भीड़ लगी रहती है। आज हम आपको इन सभी शक्तिपीठों में से 4 ऐसे शक्तिपीठों के बारे में बता रहें हैं। जो आज भी सभी लोगों के लिए रहस्य बने हुए हैं। ये शक्तिपीठ आज भी अज्ञात हैं और इनके बारे में किसी को सही से जानकारी भी नहीं है।

1 – रत्नावली शक्तिपीठ

रत्नावली शक्तिपीठImage source:

मान्यता है की यह शक्तिपीठ देवी सती का कंधा गिरने के कारण निर्मित हुआ था। इस शक्तिपीठ का स्थान मद्रास के आसपास बताया जाता है। लेकिन आज भी कोई इस स्थान का सही पता नहीं लगा पाया है। लोगों में इस शक्तिपीठ के सही स्थान को लेकर आज भी रहस्य बना हुआ है।

2 – लंका शक्तिपीठ

लंका शक्तिपीठImage source:

इस शक्तिपीठ को लेकर यह मान्यता है की इस स्थान पर देवी सती का कोई गहना गिरा होगा। आज भी इस शक्तिपीठ के स्थान को लेकर लोगों में रहस्य बना हुआ है। आज भी लोगों को नहीं पता है की आखिर यह स्थान कहां है।

3 – पंचसागर शक्तिपीठ

पंचसागर शक्तिपीठImage source:

मान्यता है की इस स्थान पर देवी सती का निचला जबड़ा गिरा था। वैसे तो इस स्थान के बारे में शास्त्रों में लिखा हुआ है लेकिन यह स्थान कहां है। इस बात का किसी को कुछ पता नहीं है।

4 – कालमाधव शक्तिपीठ

कालमाधव शक्तिपीठImage source:

इस शक्तिपीठ के बारे में मान्यता है की इस स्थान पर देवी सती का बायां कुल्हा गिरा था। यह स्थान अपने में बहुत रहस्यमय बताया जाता है। इस स्थान पर देवी शक्ति को कालमाधव तथा शिव को असितानंद के नाम से जाना जाता है लेकिन यह स्थान वास्तव में कहां है इस बारे में किसी को कुछ नहीं पता है। इस प्रकार से 51 शक्तिपीठों में से ये 4 शक्तिपीठ बहुत ज्यादा रहस्यमय हैं तथा लोगों के लिए अज्ञात भी।

shrikant vishnoi
shrikant vishnoihttp://wahgazab.com
किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

Share this article

Recent posts

Popular categories

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent comments