अनोखी रही जिन्ना की प्रेम कहानी

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पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के जन्म को लेकर काफी विरोधाभास है। कुछ लोगों का कहना है कि उनका जन्म कराची में 20 अक्टूबर 1876 को हुआ, जबकि सरोजिनी नायडू द्वारा जिन्ना की जीवनी पर लिखी किताब के मुताबिक उनका जन्म 25 दिसंबर 1876 को हुआ। इसके अलावा बहुत ही कम लोग जिन्ना के प्रेम प्रसंग के बारे में जानते हैं। आपको भी यह जानकर शायद आश्चर्य हो कि जिन्ना अपनी उम्र से लगभग आधी उम्र की मरियम उर्फ रूटी उर्फ रतन के दीवाने थे, जिससे बाद में उन्होंने प्रेम विवाह किया था।

कहां हुई थी पहली मुलाकात-
जिन्ना घूमने फिरने का काफी शौक रखते थे। इसी बीच एक बार उनके मित्र दिनशा ने मुंबई की गर्मी से राहत पाने के लिए दार्जिलिंग में छुट्टियां बिताने का प्रोग्राम बनाया। दिनशा ने जिन्ना को भी आमंत्रित किया और फिर दिनशा के परिवार के साथ जिन्ना भी दार्जिलिंग जा पहुंचे। यह 1916 का वर्ष था, जो जिन्ना की जिंदगी में नई सुबह लाने वाला था।

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दार्जिलिंग में ही जिन्ना की मुलाकात दिनशा की 14 वर्षीय बेटी रतनबाई उर्फ रूटी से हुई। हालांकि, इससे पहले रूटी जिन्ना को कई बार देख चुकी थीं पर इस मुलाकात के बाद जिन्ना का दिल रूटी पर आ गया था। इस समय रूटी की उम्र मात्र 14 वर्ष थी जबकि जिन्ना उनसे 24 साल बड़े थे। कुछ समय बाद ही जिन्ना और रूटी के बीच प्रेम के अंकुर फूट गए। एक दिन जिन्ना ने हिम्मत करके दिनशा से उनकी बेटी रूटी का हाथ मांग लिया। जिन्ना अपनी बात पूरी कर पाते कि इससे पहले ही दिनशा अपना आपा खो बैठे। इसके बाद से ही जिन्ना और दिनशा की दोस्ती का अंत हो गया।

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यूं हुई दोनों की शादी-
20 फरवरी 1900 को जन्मी रूटी 1919 में 19 साल की हो गईं। जिन्ना ने रूटी के साथ 19 अप्रैल 1919 को शुक्रवार के दिन निकाह कर लिया। रूटी को हासिल करने के लिए जिन्ना ने धर्म का ही सहारा लिया। इसके तहत उन्होंने रूटी का धर्म परिवर्तन करवा दिया। अब रूटी ‘मरियमबाई’ बन चुकी थीं। इस समय जिन्ना मुस्लिम सीट से चुने गए थे और वे मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व करते थे। इसलिए अगर वे ‘सिविल मैरिज’ करते तो उन्हें अपना पद खोना पड़ जाता।

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जन्मदिन के मौके पर हुई मौत भी –
घरेलू विवाद की वजह से रूटी बहुत ज्यादा नशा करने लगीं। जिसकी वजह से उनकी तबीयत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें इलाज के लिए लंदन शिफ्ट करना पड़ा। इलाज कराकर वापस लौटीं रूटी उर्फ़ मरियम बाई ताज होटल में रहने लगीं। 20 फरवरी 1929 को रूटी का 30वां जन्मदिन था और इसी दिन शाम को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।

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shrikant vishnoi
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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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