आपने भारत के बहुत से प्राचीन मंदिरों को देखा व उनके बारे में सुना होगा पर क्या आपने कभी किसी ऐसे मंदिर के बारे में सुना हैं जिसका निर्माण चिता के ऊपर हुआ हो। अगर नहीं तो आज हम आपको एक ऐसे ही स्थान पर निर्मित कुछ प्राचीन मंदिरों के बारे में बताने जा रहें हैं। वैसे तो लोग मंदिरों में मानसिक शांति की खोज में जाते हैं और वहां उन्हें शांति मिलती भी हैं। मगर क्या कभी किसी को चिता के पास बैठ कर शांति मिल सकती हैं। असल में आज हम आपको यहां जिन मंदिरों के बारे में जानकारी देने वाले हैं। वह चिताओं के ऊपर निर्मित किये गए हैं। आपको यह बात कुछ अजीब लग सकती हैं, पर यह सच हैं। अपने ही देश में मौजूद इन प्राचीन मंदिरों की इतनी मान्यता हैं कि यहां से कभी कोई व्यक्ति खाली हाथ नहीं जाता हैं।
माधेश्वर मंदिर परिसर –
इन मंदिरों के स्थान का नाम “माधेश्वर मंदिर परिसर” हैं। यह स्थान बिहार के दरभंगा नामक स्थान पर हैं। इस स्थान पर काफी सुन्दर एवं प्राचीन मंदिर बने हुए हैं। इन मंदिरों की खास बात यह हैं कि ये मंदिर दरभंगा के राजपरिवार के किसी न किसी सदस्य की चिता पर निर्मित किये गए हैं। चिताओं पर मंदिर बनवाने की यह प्रथा राजा माधो सिंह द्वारा चलाई गई थी। यही कारण हैं कि इस स्थान को “माधेश्वर मंदिर परिसर” के नाम से जाना जाता हैं।
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कैसे शुरू हुई यह परंपरा :-
कहते हैं कि राजा माधो सिंह की मृत्यु काशी में हुई थी और उनकी अस्थियों को इस स्थान पर लाया गया था। जिस स्थान पर उनकी अस्थियों को रखा गया हैं वहां पर एक कच्चा चबूतरा बना हैं। यदि किसी की मृत्यु होती हैं तो उसको इस राजा के कच्चे चबूतरे पर रखा जाता हैं और उसके बाद ही उसका अंतिम संस्कार किया जाता हैं। इस स्थान पर देवी काली की एक प्रतिमा भी स्थित हैं। माना जाता हैं यह मंदिर रामेश्वर सिंह की चिता पर बना हैं। इसके अलावा यहाँ देवी अन्नपूर्णा का मंदिर मौजूद हैं। इसी तरह इस पुरे परिसर में बने मंदिर राज परिवार के किसी न किसी सदस्य की चिता पर निर्मित किये गए हैं।
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