अयोध्या का राम मंदिर एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। भाजपा के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए सर्वोच्च न्यायालय में नई याचिका दायर की है। इस याचिका में स्वामी ने राम मंदिर के निर्माण के लिए निर्देश देने की मांग की है। इस याचिका को प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता के समक्ष पेश किया गया था। जिस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह याचिका मंदिर मस्जिद विवाद की पीठ के आगे सूचीबद्ध कर दी जाएगी।
अयोध्या में 1992 में राम मंदिर और मस्जिद वाला विवादित ढांचा ध्वस्त कर दिया गया था। तभी से यह विवाद चल रहा है। इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने नई याचिका सर्वोच्च न्यायालय में दायर की है। इस याचिका में स्वामी ने राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के निर्देश देने की मांग की है। इस याचिका पर गौर करते हुए प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि यह मामला मंदिर मस्जिद मामले वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध कर दिया जाएगा। वहीं, न्यायमूर्ति यूयू ललित की सदस्यता वाली पीठ ने भी कहा कि इस मामले को वह विषय पीठ पर ही छोड़ रही है।
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इस याचिका में स्वामी ने कहा है कि इस्लामी देशों में परंपरा के तहत सार्वजनिक उद्देश्यों जैसे सड़क बनाने आदि के लिए मस्जिद को हटवाया भी जा सकता है। वहीं, सर्वोच्च न्यायालय के एक संविधान की एक पीठ के बहुमत वाले फैसले के अनुसार मस्जिद इस्लाम धर्म का जरूरी हिस्सा नहीं है। वहीं, ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स ने 1991 में कहा था कि मंदिर हमेशा मंदिर ही रहता है। भले ही उसको गिरा क्यों न दिया जाए।
इसलिए राम जन्म भूमि पर राम का ही मंदिर होने का दावा ज्यादा प्रभावी है। साथ ही स्वामी ने इस इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णयों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जल्द ही निर्णय लेने की भी मांग की है।