जेएनयू में देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार चल रहे छात्र नेता कन्हैया को जमानत देने से पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने अपनी कई शर्तें रखी हैं। इस सशर्त जमानत की रकम भी कम रखी गई है। इस जमानत से पहले जज ने देशद्रोह पर बोलते हुए कहा कि यह एक तरह का संक्रमण है। पहले इसे ठीक करने की कोशिश की जाएगी। अगर यह महामारी बनकर आगे बढ़ेगा तो इसका दूसरा उपचार भी किया जाएगा।
दिल्ली के जेएनयू में हुए देशद्रोह के विवाद में गिरफ्तार कन्हैया को जमानत दे दी गई है। इस जमानत के लिए कन्हैया के परिवार की आर्थिक स्थिति देखकर जमानत राशि बेहद कम रखी गई है। कन्हैया को जमानत देने से पहले जस्टिस प्रतिभा रानी ने देश की एकता और अखण्डता से जुड़ी कई बातें कहीं। जज ने कहा कि विश्वविद्यालयों में देश विरोधी नारे लगाने वाले छात्र यह भूल जाते हैं कि वह देश में इसलिए सुरक्षित हैं क्योंकि दुनिया की ऊंचे युद्ध क्षेत्रों पर जहां ऑक्सीजन भी नहीं मिल पाती है वहां पर देश का सैनिक तैनात है। मकबूल बट और अफजल गुरु के पोस्टर के साथ देशविरोधी नारे लगाने वाले एक घंटे भी ऐसी स्थिति में नहीं रह पाएंगे।
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इसके अलावा जज ने यह भी कहा कि यह सभी नारे अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार के तहत नहीं आते हैं। जज ने कहा कि यह एक संक्रमण की तरह है। जिससे छात्र पीड़ित हैं, इस संक्रमण के इलाज की आवश्यकता है। अगर संक्रमण दवा लेने के बाद भी ठीक नहीं होता तो फिर दूसरे उपचार किए जाते हैं।
साथ ही जेएनयू छात्रों को सही राह पर लाने के लिए विश्वविद्यालय के शिक्षकों को भी प्रयास करने होंगे। कन्हैया की रिहाई गुरुवार को तिहाड़ जेल से की जाएगी।