शादी एक पवित्र बंधन माना जाता है, जिसे मजबूत बनाने के लिए जहां एक तरफ दो लोगों के बीच प्यार की जरूरत होती है तो वहीं शादी के दौरान की जाने वाली रस्में भी इन्हें मजबूत बनाने का काम करती हैं। वहीं इन सब के साथ अगर हम आपसे यह कहें कि हमारे देश के एक हिस्से में चल रही परंपरा के अनुसार शादी की एक रस्म में दुल्हन की शादी उसकी ननद से की जाए तो निश्चित रूप से इस बात को सुनकर आप कुछ हैरान होंगे, लेकिन आपको बता दें कि यह सच है।
गुजरात के छोटे से गांव उदयपुर में यह परम्परा कई सालों से चली आ रही है। इस परंपरा के अनुसार शादी के समय दुल्हन का विवाह उसकी ननद से कराया जाता है। देखने में यह शादी एक समलैंगिक शादी की तरह लगती है, लेकिन ऐसा नहीं है। यहां शादी के समय दुल्हन की ननद को दूल्हे के स्थान पर खड़ा किया जाता है।
अभी हाल ही में एक ऐसी शादी इस गांव में हुई भी है। गांव के भरत राठवा की शादी रजनी राठवा से की जाने लगी तो उस समय शादी में भरत के स्थान पर उसकी अविवाहित बहन को बैठाया गया। इस पूरे समारोह में जो कार्य दूल्हे को करने चाहिए वो सारे कार्य उसकी बहन से कराए जा रहे थे। इतना ही नहीं वो यह सारी रस्में तब तक करती है जब तक कि दुल्हन दूल्हे के घर तक नहीं आ जाती है।
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इस रस्म के बारे में बात करते हुए दुल्हन के भाई नरेश राठवा ने बताया कि यह उनके गांव की एक बहुत ही पुरानी परंपरा है जो काफी लंबे समय से चल रही है। इस शादी में दूल्हे की अविवाहित बहन का कर्तव्य तब तक बना रहता है जब तक कि वो दुल्हन को अपने घर ना ले आए।
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इस रस्म का मतलब समझाते हुए उन्होंने बताया कि इस रस्म में बहन अपने भाई की रक्षा करते हुए उसके जीवन की एक नयी शुरूआत में उसका साथ देने के लिए उसके साथ रहती है। वो शादी के दौरान अपने सिर पर एक बर्तन रखती है जो चावल से भरा होता है। जिससे वह अपने भाई की शादी को किसी भी बुरी नजर से बचा सके। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी बताया कि इस दौरान दूल्हे को भी अपने गांव से बाहर कदम रखने की अनुमति नहीं दी जाती है। इसके अलावा इस तरह से शादी करने में एक और रिवाज भी है जिसमें दुल्हन के स्थान पर दूल्हे को दहेज देना होता है। यहां दहेज देने का अर्थ होता है कि हम आपकी बेटी को अपने घर लेजा रहे हैं।