Parle-G विस्किट पर बना एक एड ‘रोको मत टोको मत’ को देखने बाद हर कोई इसकी ओर आकर्षित हो जाता है। पर इस एड में जितना बच्चों की ग्रोथ को बढ़ता दिखाया जा रहा है उतना ही इस कंपनी के द्वारा नाजुक बच्चों की जिंदगी के साथ शोषण किया जा रहा है। जीं हां! ये यह वही Parle-G, कपंनी है जिसकी पहचान इनके स्वादिष्ट विस्टिक से की जाती है आज के समय में यह भारत की दूसरी बड़ी बिस्कुट बनाने वाली कंपनी है। जो हाइड एंड सीक, पार्ले-जी, मोनैको जैसे बिस्कुट के लिए जानी जाती है।
सुबह की चाय हो या शाम का स्नैक टाइम Parle-G, बिस्किट्स 90’s के दशक के हर बच्चें बड़े-बूढ़ों की पहली पसंद बनती आई है। पूरे भारतवर्ष में विले पार्ले को कौन नही जानता। 73 साल पुराने इस ब्रांड, के प्रोडक्ट लोगों के दिलों में खास जगह बनाए हुए हैं।
पूरी दुनिया में अपनी एक खास जगह बनाने वाली कंपनी के बारें में यदि आप जानेगें तो आप भी एक बार सोचने को मजबूर हो जायेगें कि जिसके स्वाद के जो लोग भी दिवाने है इसमें सिर्फ बच्चों की दबती जुबान ही छिपी हुई है। बच्चों में हो रहे शोषण को अभी हाल ही में उजागर किया गया है। Parle-G के रायपुर प्लांट से 26 बच्चो को रेस्क्यू किया गया है। ये बच्चे वहां मजदूरी करते थे। भारत में Parle G के सात प्लांट हैं। जिस प्लांट को बंद किया गया है उसे पार्ले नहीं चलाती, बल्कि किसी थर्ड पार्टी को कॉन्ट्रेक्ट में दे दिया जाता है।
महिला एवं बाल विकास विभाग को मिली जानकारी के अनुसार अमस्विनी (रायपुर) के एक Parle-G प्लांट में कुछ नाबालिग बच्चों से काम करवाया जा रहा था। जिसकी कंप्लेंट SHO अश्विनी राठौर को दी गई। खबर मिलते ही टास्क फोर्स के द्वारा फैक्ट्री पर छापा मारा गया। इस छापे में 26 बच्चों को रेस्क्यू किया गया। इन सभी बच्चों की उम्र 13 से 17 साल के बीच के थी। बच्चों ने बताया कि उनसे 12 घंटे से ज्यादा समय तक काम करवाया जाता है। सुबह के 8 से रात के 12 बजे तक फैक्ट्री में काम करते रहते हैं। लेकिन पैसे के नाम पर उन्हें सिर्फ 5000 से 7000 रूपया महीना दिया जाता है। ये बच्चे उड़ीसा, मध्य प्रदेश और झारखंड से हैं। जांच के बाद सभी बच्चों को जूवेनाईल शेल्टर होम भेज दिया गया। यहीं इनकी काउंसलिंग करने के बाद बच्चों के माता-पिता से भी कॉन्टेक्ट किया जायेगा।
महिला एवं बाल विकास विभाग ने 12 जून को वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर मनाया जाता है। इस बार बाल मजदूरी को रोकने के लिए कैंपेन चलाया गया है। इस कैंपेन के तहत पिछले छह दिनों में रायपुर के आस-पास के छह जिलों से 51 बच्चों को रेस्क्यू किया है।
चाइल्ड वैल्फेयर कमेटी ने सेक्शन 3, 3A, 14 (बाल मजदूरी पर पाबंदी) और धारा 370 (मजदूरों को गुलाम समझकर खरीदने औऱ बेचने) के अंदर मामला दर्ज करवाया है। कंपनी के मालिक विमल खेतान को जूवेनाइल जस्टिस एक्ट धारा 79 लगायी जा सकती है। जिसके तहत उन्हें 50,000 रूपयों का जुर्माना और 2 साल की जेल भी हो सकती है।